हर हर कदम के बदले में एक एक साल की इबादत का सवाब

हर कदम पर एक साल की इबादत का सवाब गोरखपुर। हदीस में है कि नबी ए पाक का फरमाने आलीशान है जो माहे रमजान शरीफ में किसी मजलिसे जिक्र में शिरकत करता है। अल्लाह उस के लिखता है और बरोजे कियामत वो अर्श के साए में होगा। और जो कोई रमजान शरीफ में नमाजे बा जमाअत पर मुदावमत करता है याानि हर नमात बा जमाअत ही पढ़ता हैं, अल्लाह तबारक व तआला उस ,खुशनसीब को हर हर रकअत के इवज याानि बदले में नूर का एक शहर अता फरमाएगा। जो कोई माहे रमजान में अपने वालिदैन के साथ एहसान करेगा अल्लाह उसकी तरफ निगाहें रहमत और जमीन में यानि हमारे आका नबी ए पाक उसके जिम्मेदार हों। जो कोई माहे रमजान में किसी मुसलमान की हाजत यानि जरूरत पूरी करता है अल्लाह उसकी दस लाख हाज़ते पूरी फरमाता है। जो इस माहे मुबारक में किसी बाल बच्चेदार फकीर को खैरात देता है अल्लाह उसके लिए दस लाख नेकियाॅं लिखता है और उसके दस लाख गुनाह माफ फरमा देता है और दस लाख दर्जात बुलन्द फरमाता है।

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