
सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर। शहर.ए.गोरखपुर में कई ऐतिहासिक धरोहर मौजूद है। जो अनमोल है। इन्हीं धरोहरों में रूद्रपुर स्थित एक है ईदगाह बेनीगंज। जिसे
बनाने का हुक्म मुगल शहंशाह औरंगजेब ने करीब सवा तीन सौ बरस पहले अपने द्वितीय पुत्र मुअज्जम अली शाह को दिया।
मुगलवास्तुकला की बेजोड़ निशानी है। ईदगाह में तीन दरवाजे है। एक मिम्बर और छोटी मीनारें अपने अतीत की यादों को अपने अंदर समेटे
हुये है। इस ईदगाह में एक साथ पन्द्रह हजार लोग नमाज पढ़ सकते है। इसके मुतवल्ली जुनैद के पास औरंगजेब की लगी मोहर के कागजात
मौजूद है। ईदगाह के सेके्रटरी इसरार अहमद ने बताया कि इस ईदगाह में वहीं सामान लगे है जो जामा मस्जिद उर्दू बाजार की तामीर में लगा
हुआ है। उन्होंने बताया कि इसकी तामीर में कड़वा तेल ए दालए चूनाए सूर्खी व उस जमाने की ईट का प्रयोग हुआ है। इसके अंदर एक कुआं
है। इसके आसपास सात कुएं है। हालांकि कुओं का अस्तीत्व समाप्त हो चुका है। ईदगाह की लम्बाई दो सौ स्कवायर मीटर व चौड़ाई एक सौ
अस्सी मीटर है। इस ऐतिहासिक ईदगाह में दो गेट है। एक गेट शहंशाह औरंगजेब का बनवाया है। एक गेट आवाम की मदद से कमेटी ने
बनवाया। उन्होंने बताया कि औरंगजेब के दूसरे पुत्र बहादुर शाह प्रथम शहजादा मुअज्जम शाह के जेरे नजर इसकी तामीर हुई। जिन्होंने उर्दू
बाजार की जामा मस्जिद व बसंतपुर सराय बनवायी थी। बहादुर शाह प्रथम को शाहआलम प्रथम या आलमशाह प्रथम के नाम से भी जाना
जाता है। इन्हीं के नाम पर गोरखपुर का पहले नाम मुअज्जमबाद था। कमेटी के सेक्रेटरी इसरार ने बताया कि पहले यहां पर दो ईमली के पेड़
थे। एक हरी ईमली व दूसरा लाल ईमली का पेड़। इन्हीं ईमली के पेड़ की वजह से यह ईदगाह ईमली वाली ईदगाह के नाम से मशहूर हुई।
लाल ईमली गेट के पास व हरा ईमली का पेड़ ईदगाह के अंदर था। करीब बीस वर्ष पहले इसे काट दिया गया। ईद व ईदुल अज्हा के दिन
ईदगाह के अंदर आठ हजार नमाजी व चार हजार ईदगाह के बाहर सड़क पर नमाज पढ़ते है। पहले यहां पर तीन गोले दागे जाते थे। इक
इकामत के लिए
जानिए बादशाह मुअज्जम शाह के बारे में
गोरखपुर। बहादुर शाह प्रथम मुअज्जम शाह का जन्म 14 अक्टूबर सन् 1643 ईण् में बुरहानपुर ऽाारत में हुआ । बहादुर शाह प्रथम दिल्ली का
सातवां मुगल बादशाह थे। शहजादा मुअज्जम कहलाने वाले बादशाह औरंगजेब के दूसरे पुत्र थे। पूरा नाम साहिब .ए.कुरआन मुअज्जम शाह
आलमगीर सानी अबु नासिर सैयद कुतुबुद्दीन अबुल मुहम्मद मुअज्जम शाह आलम बहादुर शाह प्रथम पादशाह गाजी ;खुल्द मंजिलद्ध था।
इनका राज्यऽिाषेक 19 जून 1707 को दिल्ली में हुआ। शासन काल 22 मार्च 1707 से 27 फरवरी 1712 ईण् तक रहा। इनके शासन काल
में मुगल सीमा उत्तर और मध्य भारत तक फैली थी। शासन अवधि 5 वर्ष रही। 68 साल की उम्र में इनका इंतेकाल हुआ। उत्तराधिकारी
बहाुदर शाह जफर हुये। इनके आठ पुत्र ओर एक पुत्री थे। अपने पिता के भाई और प्रतिद्वंद्वी शाहशुजा के साथ बड़े भाई के मिल जाने के बाद
शहजादा मुअज्जम ही औरंगजेग के संभावी उत्तराधिकारी थे। बादशाह बहादुर शाह प्रथम के चार पुत्र थे जहांदारशाहए अजीमुश्शानए
रफीउश्शान और जहानशाह। इन्होंने गोरखपुर में बसंतपुर सराय का निर्माण कराया। जामा मस्जिद उर्दू बाजार इन्होंने निमार्ण करायी हिजरी
1120 में। इस साल इन्होंने सिल्वर का सिक्का भी चालू कराया। इसके अलावा इन्होंने दिल्ली की मोती मस्जिद भी बनवायी।
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