शाही मस्जिद बसंतपुर सराय तीन सौ साल पुरानी मस्जिद
शाही मस्जिद बसंतपुर सराय तीन सौ साल पुरानी मस्जिद
syed farhan ahmad
गोरखपुर। बसंतपुर सराय स्थित शाही मस्जिद भी ऐतिहासिक है। बादशाह मुअज्जम शाह ने ऐतिहासिक बसंतपुर सराय में शाही मस्जिद का निर्माण करवाया। इस क्षेत्र के सूबेदार खलीलुर्रहमान पूरी फौज के साथ यहां रहा करते थे। नमाज की सहूलियत के मद्देनजर इसका निर्माण करवाया गया। मस्जिद ज्यादा बड़ी तो नहीं है लेकिन अपने हुस्न कमाल की निशानी है। इस मस्जिद की तामीर इतिहासकारों के मुताबिक करीब 300 साल पुरानी है। पहले सराय में मुसाफिर भी रूकते थे। यहीं पास में राप्ती नदी भी बहती थी। इसलिए इस मस्जिद का महत्व इतिहास में मिलता है। जामा मस्जिद उर्दू बाजार के साथ ही इसका निर्माण हुआ है। पुरातत्व विभाग की टीम ने पिछली बार इसका जायजा लिया था तो पाया था कि बसंतपुर सराय 400 साल पुराना है उसी हिसाब से इस मस्जिद कीउम्र 300 साल से ज्यादा है। इंटेक ने बसंतपुर सराय और मस्जिद के संरक्षण की योजना भी बनायी है।
जानिए बादशाह मुअज्जम शाह के बारे में
गोरखपुर। बहादुर शाह प्रथम मुअज्जम शाह का जन्म 14 अक्टूबर सन् 1643 ई.में बुरहानपुर भारत में हुआ । बहादुर शाह प्रथम दिल्ली का सातवां मुगल बादशाह थे। शहजादा मुअज्जम कहलाने वाले बादशाह औरंगजेब के दूसरे पुत्र थे। पूरा नाम साहिब -ए-कुरआन मुअज्जम शाह आलमगीर सानी अबु नासिर सैयद कुतुबुद्दीन अबुल मुहम्मद मुअज्जम शाह आलम बहादुर शाह प्रथम पादशाह गाजी यखुल्द मंजिलद्ध था। इनका राज्यभिषेक 19 जून 1707 को दिल्ली में हुआ। शासन काल 22 मार्च 1707 से 27 फरवरी 1712 ई. तक रहा। इनके शासन काल में मुगल सीमा उत्तर और मध्य भारत तक फैली थी। शासन अवधि 5 वर्ष रही। 68 साल की उम्र में इनका इंतेकाल हुआ। उत्तराधिकारी बहादर शाह जफर हुये। इनके आठ पुत्र ओर एक पुत्री थे। अपने पिता के भाई और प्रतिद्वंद्वी शाहशुजा के साथ बड़े भाई के मिल जाने के बाद शहजादा मुअज्जम ही औरंगजेग के संभावी उत्तराधिकारी थे। बहादुर शाह प्रथम को शाहआलम प्रथम या आलमशाह प्रथम के नाम से ऽा जाना जाता है। बादशाह बहादुर शाह प्रथम के चार पुत्र थे जहांदारशाह, अजीमुश्शान, रफीउश्शान और जहानशाह। इन्होंने गोरखपुर में बसंतपुर सराय का निर्माण कराया। जामा मस्जिद उर्दू बाजार इन्होंने निमार्ण करायी हिजरी 1120 में। इस साल इन्होंने सिल्वर का सिक्का भी चालू कराया। इसके अलावा इन्होंने दिल्ली की मोती मस्जिद भी बनवायी। बसंतपुर की शाही मस्जिद का निर्माण भी करवाया।
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