इफ़्तार में जल्दी करना रसूलल्लाह की सुन्नत
इफ़्तार में जल्दी करना रसूलल्लाह की सुन्नत
गोरखपुर. रोज़ेदार जब सुरज डुबने का यक़ीन कर लेते हैं, तब ही "रोज़ा इफ़्तार" करते हैं। ना वह "साइरन" की आवाज़ का इन्तिज़ार करते हैं और ना ही "अज़ान" की आवाज़ का। फ़ौरन वह ख़जूर, छूहारा या पानी से "रोज़ा इफ़्तार" कर लेते हैं। "इफ़्तार" में जल्दी करना सुन्नत है।
दुआ यह है- "अल्लाहुम्मा इन्नी लक सुम्तु व बिक आमन्तु व अलैक तवक्कलतु व अला रिज्क़िक अफ़्तरतु"। (ऐ अल्लाह! मैंने तेरे लिए "रोज़ा" रखा और तुझ पर "ईमान" लाया और तुझी पर "भरोसा" किया और तेरे दिए हुए रिज़्क़ से "रोज़ा इफ़्तार" किया)।
हदीसों में है कि हमेशा लोग ख़ैर व भलाई के साथ रहेगें, जब तक वह "इफ़्तार" में जल्दी करेगें, यानी जैसे ही सुरज के डूबने का यक़ीन हो जाए, बिला ताख़ीर ख़जूर या पानी वग़ैरह से "रोज़ा" खोल लें।
प्यारे नबी ह़ज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया कि "मेरी उम्मत, मेरी सुन्नत पर रहेगी, जब तक इफ़्तार में सितारों का इन्तिज़ार ना करे"। इस हदीस में "इफ़्तार" में जल्दी करने की ताकीद की गई है और यह खूशखबरी भी दी गई है कि "जब तक मेरी उम्मत, "इफ्तार" में जल्दी करेगी, मेरी सुन्नत पर क़ायम रहेगी"। सूरज डूबने के बाद "इफ़्तार" में इतनी देर ना करें कि आसमान में सितारे टिमटिमाने लग जाऐं। इतनी ताख़ीर करने से हमें मना किया गया है। इसी तरह मग़रिब की नमाज़ में भी, बिना किसी "उज़्रे शरीअत के इतनी देर कर देना कि सितारे ज़ाहिर हो जाऐं, मकरुहे तह़रीमी है। प्यारे नबी फ़रमाते हैं कि "अल्लाह ने फ़रमाया कि मेरे बन्दों में मुझे ज़्यादा प्यारा वह है, जो इफ्तार में जल्दी करता है"।
प्यारे नबी ह़ज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया कि "जब तुम में कोई रोज़ा इफ़्तार करे, तो खजूर या छूहारे से इफ़्तार करे कि वह बरकत है और अगर ना मिले, तो पानी से कि वह पाक करने वाला है"। प्यारे नबी ने फरमाया कि "जिस ने किसी रोज़ादार को हलाल खाने या पानी से "रोज़ा इफ़्तार" कराया, तो रमज़ान के मुबारक समय में फ़रिश्ते उस के लिए "इस्तिग़फ़ार" करते हैं और तमाम फ़रिश्तों के सरदार हज़रत जिब्रइल "शबे क़द्र" में उस के लिए इस्तिग़फ़ार करते हैं।
रोज़ादार कितना खुशनसीब होता है कि हर वक्त वह अल्लाह की खुशी व रज़ा हासिल करता रहता है, यहाँ तक कि जब "इफ़्तार" का वक्त आता है, तो उस वक्त वह जो भी माँगता है, अल्लाह उसे अपने फ़ज़ल-व-करम से क़ुबूल फ़रमाता है.
सेराज अहमद राईन कादरी
तुर्कमानपुर चिंगी शहीद
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