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जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में आ गया हज यात्रा आवेदन फार्म

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-2 जनवरी से नि:शुल्क मिलेगा फार्म - 24 जनवरी अंतिम तिथि गोरखपुर। जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में शनिवार को मुकद्दस हज यात्रा 2017 का आवेदन फार्म आ गया हैं। करीब 100 फार्म आये हैं साथ में गाइड लाइन भी आयी हैं। ऑफ लाइन और ऑन लाइन दोनों तरीके से आवेदन किया जा सकता हैं । सोमवार से फार्म निशुल्क मिलना शुरु हो जायेगा। इस्लाम में पांच फर्जों में से हज एक अहम फरीजा है। जिसको जिदंगी में एक बार अदा करना जरूरी है। जनपद में प्रति वर्ष ढ़ाई सौ से ज्यादा लोग हज के सफर पर जाते हैं। हज मालदारों पर फर्ज है और वह भी जिंदगी में सिर्फ एक बार। 2 जनवरी से हज पर जाने के लिए फॉर्म भरने का काम शुरू हो जाएगा।  मक्का- मदीना जाने की चाह रखने वाले अकीदतमंद 2 जनवरी से ऑनलाइन व ऑफ लाइन फॉर्म भरकर अावेदन कर सकते हैं। इसके लिए हज कमेटी ऑफ इंडिया ने अंतिम तिथि 24 जनवरी तय की है। हज के सफर के लिए फॉर्म भरने से जुड़ी सभी तैयारियां पूरी की जा चुकी है। हज कमेटी की वेबसाइट पर 2 जनवरी से फॉर्म का लिंक खुल जायेगा। वहीं जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से भी फार्म मिलेगा।  हज आवेदन  ऑनलाइन और ऑफ लाइन दोनो...

एक औरत को तालीम दे देना एक यूनिवर्सिटी खोल देने के बराबर है

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इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज़ हैं  : मौलाना खुर्शीदुल इस्लाम -औलाद को इल्म के जेवर से आरास्ता कीजिए : मौलाना अली अहमद -हजरत मोहम्मद अली बहादुर शाह रहमतुल्लाह अलैह का 100वां तीन रोजा उर्स-ए-पाक शुरू गोरखपुर। मोहल्ला रहमतनगर स्थित बहादुरिया जामा मस्जिद के निकट हजरत मोहम्मद अली बहादुर शाह रहमतुल्लाह अलैह का 100वां तीन रोजा उर्स-ए-पाक आस्ताने पर शनिवार को शुरू हुआ। इस दौरान भव्य जश्न-ए-ईदमिलादुन्नबी का आयोजन हुआ। मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए मौलाना खुर्शीदुल इस्लाम किछौछवीं ने कहा कि औलिया इकराम का फैज सभी पर है। बुजुर्गाें की जिदंगी हमारे लिए नमूना है। उस पर अम्ल करके अल्लाह और रसूल की नजदीकी हासिल की जा सकती है।  हजरत गौस पाक अब्दुल कादीर जिलानी रहमतुल्लाह अलैह ने इस्लाम के पैगाम को फैलाया। पूरी जिदंगी, नबी की पाकीजा सुन्नतों पर अम्ल कर कुर्बें इलाही हासिल किया। उनका पैगाम सभी के लिए है। दिल को अल्लाह के जिक्र से खाली नहीं रखना चाहिए। हम मुसलमान हैं। हमारा धर्म इस्लाम है,यह हमारे लिए बड़े गर्व की बात है। हमारे नबी सल्लल्लाहौ अलैहि वसल्लम का इरशाद  है ...

हज यात्रा अलर्ट : 24 जनवरी तक बन जाना चाहिए नया पासपोर्ट

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- हज यात्रा को जाने के लिए हज कमेटी मुंबई ने जारी किए दिशा निर्देश - वहीं 28 फरवरी से पहले हो रहा है एक्सपायर तो भी हो सकती है समस्या सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। मुकद्दस हज के सफर के लिए जाने की चाह रखने वाले लोगों को अलर्ट होने की जरूरत है। अगर उनके पास पासपोर्ट नहीं है या फिर उन्होंने बनवाने के लिए अावेदन कर रखा है और 24 जनवरी तक उन्हें पासपोर्ट नहीं मिलता है, तो हज यात्रा की तमन्ना रखने वालों के सपनों को चकनाचूर हो सकता है। मुंबई स्थित हज कमेटी ऑफ इंडिया ने पासपोर्ट को लेकर अलर्ट जारी किया है। इसके लिए पासपोर्ट वैधता को लेकर कुछ बिंदु अंकित किए गए हैं, जिनके पूरा न होने की दशा में अावेदन फॉर्म निरस्त हो सकता है। हज कमेटी ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि जो भी मुकद्दस हज के सफर के लिए जाने के ख्वाहिशमंद हैं, उनका पासपोर्ट 24 जनवरी तक का बना होना चाहिए। फॉर्म को भरने के लिए भी पासपोर्ट नंबर की जरूरत पड़ेगी। इसलिए अगर पासपोर्ट इसके बाद बनता है तो स्वत:  वह हज का फॉर्म नहीं भर पाएंगे। वहीं जिनके पासपोर्ट 28 फरवरी या उससे पहले एक्सपायर हो रहे हैं, उन्हें भी अपना पासपोर्ट सही क...

इस्लाम में मौजूद सियासत, हुकूमत, समाजी व रुहानी जरुरतों का प्रोग्राम : अल्लामा मसऊद

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इस्लाम ने दिखायी पश्चिमी को इल्म व विज्ञान की राह : मौलाना अहजहर -20वां अजीमुश्शान जलसा-ए-ईदमिलादुन्नबी -शाही जामा मस्जिद उर्दू बाजार पूरब फाटक पर आयोजित गोरखपुर। अलजामियतुल अशरफिया अरबी यूनिवर्सिटी मुबारकपुर के इस्लामिक धर्मगुरु अल्लामा मौलाना मसऊद अहमद ने कहा कि पिछली सदियों के सभी मुस्लिम वैज्ञानिक और शोधकर्ता मदरसों से पढ़कर निकले थे । कुरआन और हदीस उनकी प्ररेणा के स्रोत थे। कई वैज्ञानिक और खोजकर्ता तो कुरआन, हदीस, फिक्ह (धर्मशास्त्र) के विद्वान थे और साथ ही साथ वह नई-नई खोजों में भी व्यस्त रहते थे। इससे  यही सिद्ध होता है कि इस्लाम कहीं भी मनुष्य की प्रगति में रूकावट नहीं डालता। इस्लाम विज्ञान और प्रगति का विरोधी नहीं है। हमारा यक़ीन मुकम्मल यकीन हैं कि इस्लाम में सियासत, हुकूमत और पब्लिक की दुनियावी और परलोकिक ज़रूरतओं को पूरा करने के लिए प्रोग्राम मौजूद हैं। उर्दू बाजार जामा मस्जिद पूरब फाटक पर चिश्तिया कमेटी के तत्वावधान में आयोजित 20वें अजीमुश्शान जलसा-ए-ईदमिलादुन्नबी में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए उन्होंने कहा कि  मुसलमानों के ज्ञान व विद्या में किए ग...

पूरी दुनिया में इस्लाम का परचम बुलंद : मौलाना जहांगीर

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पूरी दुनिया में इस्लाम का परचम बुलंद : मौलाना जहांगीर -नबी के तुफैल बनी दुनिया : मौलाना मकसूद -हजरत बाबा तबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां का दो दिवसीय उर्स-ए-मुबारक जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी कार्यक्रम से शुरु -आज कुल शरीफ व पेश होगी सरकारी चादर गोरखपुर। प्रेमचंद पार्क  रोड बेतियाहाता स्थित दरगाह पर हजरत बाबा तबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां का दो दिवसीय उर्स-ए-मुबारक सोमवार को जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी  कार्यक्रम के साथ शुरु हुआ। मुख्य वक्ता जामा मस्जिद सुभानिया तकिया कवलदह के इमाम मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी ने कहा कि नबी हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहौ अलैही वसल्लम ने ईसाईयों, यहूदियों सहित तमाम मजहबों वालों के साथ बेहतरीन सुलूक किया। उसी का नतीजा है कि आज सारी दुनिया में इस्लाम का परचम बुलंद हैं। ईद मिलादुन्नबी की महफिल सजाना नबी हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहौ अलैही वसल्लम से मुहब्बत की दलील है और शरीयत की नजर में महबूब भी है। हमारे बुजुर्गों से इसका साक्ष्य भी मिलता है। विश्व शंति के लिए नबी हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहौ अलैही वसल्लम की तालीम को हर इंसान तक पहुंचाना जरुरी हैं। नबी-ए-पाक के साथी साहाब...

मुसलमानों ने विज्ञान के हर क्षेत्र में खिदमत दी : खैरुल बशर

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-एसपी सिटी हेमराज मीणा ने मेधावियों को किया सम्मानित गोरखपुर। मुस्लिम इमदादिया कमेटी ऑफ एजुकेशन के तत्वावधान में एमएसआई इंटर कालेज बक्शीपुर में हाईस्कूल व इंटर के मेधावियों को एसपी सिटी हेमराज मीणा ने सम्मानित किया। करीब 150 मेधावियों को मेडल व प्रमाण पत्र दिया गया।सीओ कैंट अभय कुमार मिश्रा ने भी मेधावियों का उत्साहवर्द्धन किया। बतौर मुख्य अतिथि हेमराज मीणा ने कहा कि शिक्षा किसी भी समुदाय की रीढ़ होती हैं। कोई समाज तब तक उन्नति नहीं कर सकता जब तक कि वह शिक्षा हासिल नहीं करेगा। उन्होंने मेधावियों से आह्वान किया कि पूरा मन लगाकर आगे पढ़ाई करें और जीवन पर्यन्त प्रत्येक क्षेत्र में मेधावी बनें रहें और अपने लक्ष्य को हासिल किए बिना न रुके। लक्ष्य को प्राप्त कर वह अपने देश व समाज की सेवा करें। शिक्षा के साथ संस्कार भी हासिल करें। संस्कार के बिना शिक्षा व्यर्थ है। बच्चियों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाना बेहद जरुरी हैं। उन्होंने अपने जीवन के अनुभव शेयर किए। मुख्य वक्ता काउंसलर खैरुल बशर ने कहा कि मुसलमानों ने विज्ञान के हर क्षेत्र में अपनी खिदमतों को अंजाम दिया है और विज्ञान ...

पूरी इंसानियत की भलाई इस्लामी कानून के अंदर : मुफ्ती अलाउद्दीन

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-हजरत कंकड़ शाह रहमतुल्लाह अलैह का दो दिवसीय उर्स-ए-पाक मना -दरगाह पर पेश हुई सरकारी चादर व गागर - भव्य जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी का हुआ प्रोग्राम गोरखपुर।  इस्लामिक विद्वान अल्लामा मुफ्ती मोहम्मद अलाउद्दीन मिस्बाही ने कहा कि  अल्लाह ने दुनिया को बनाने के बाद सबसे आला दर्जा इंसान को अता किया और इस सिलसिले में उनकी हिदायत व रहनुमाई के लिए अम्बिया का सिलसिला जारी फरमाया। जिसकी आखिरी कड़ी बनकर हमारे नबी-ए-पाक तशरीफ लायें। जिनकी नुबूवत कयामत तक के लिए हैं। उनकी लायी हुई किताब कुरआन इंसानी जिंदगी का इंसाइक्लोपीडिया हैं ताकयामत तक के लिए। नबी के बाद इंसानों की हिदायत के लिए अल्लाह ने नबी का नायब उलेमा व औलिया को बनाया। जिनके जरिए इंसानों की हिदायत का काम हो रहा हैं और ताकयामत तक होता रहेगा। यहीं वजह है कि औलिया की बारगाहें इंसानियत की भलाई के लिए अपने कारनामों की बुनियाद पर बेमिसाल हैं।  उन्होंने इंसानियत का पैगाम देते हुए कहा कि पूरी इंसानियत की भलाई इस्लामी कानून के अंदर हैं। कुरआन दीन व दुनिया का इंसाइक्लोपीडिया हैं। आज विज्ञान व दुनिया जो कुछ कह रही है और जो कुछ...

महान मुस्लिम वैज्ञानिकों ने रखी नवयुग की नींव : मुफ्ती अख्तर

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-मोहल्ला खोखरटोला  में आयोजित जश्न-ए-ईदमिलादुन्नबी गोरखपुर। आॅक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में आज भी मुस्लिम विद्वानों की पुस्तकों के लातिनी और दूसरी यूरोपीय भाषाओं में किए गए अनुवाद मौजूद हैं। यूरोप वालों ने अल्पदृष्टि का परिचय देते हुए मुसलमानों के अरबी नामों को लातीनी में  बदल दिया ताकि मुसलमानों को कभी पता न चले कि हमने विज्ञान और कला के क्षेत्र में क्या कारनामे अंजाम दिए। जिन लोगों के नाम बदले गये उनमें इब्ने सीना, इब्नुल हैसम, जाबिर बिन हैयान, जकरिया अल राजी , अल जरकावी, इब्ने रूश्द, अबु बक्र इब्ने बाजह आदि के नाम शामिल हैं। नाम इसलिए बदले गए ताकि आने वाली नस्लें यह न समझें कि मुसलमानों में इतने महान खोजकर्ता और वैज्ञानिक गुजरे हैं जिनकी जलायी इल्म की रोशनी से 14वीं और 15वीं शताब्दी में यूरोप में पुनर्जागरण व धार्मिक विपलव जैसे आंदोलन चले और आज यूरोप विकास और सभ्यता के शिखर पर पहुंचा। यह बातें मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार के फतवा विभाग के हेड मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी ने मोहल्ला खोखरटोला में गुरुवार को जश्न-ए-ईदमिलादुन्नबी के मौके पर कहीं। उ...

इस्लामी झंडा बेचने में हिंदू समुदाय भी पीछे नहीं

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-बारह रबीउल अव्वल शरीफ की रौनक सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। बारह रबीउल अव्वल शरीफ (ईद मिलादुन्नबी) की तैयारियां जोरों पर हैं। इसके लिए बाजार भी सजे हैं। हालांकि नोटबंदी का असर यहां भी साफ तौर पर देखा जा रहा है लेकिन मामले का दूसरा पहलू यह हैं कि बारह रबीउल अव्वल पर निकलने वाले जुलूस-ए-मुहम्मदी के दौरान अकीदतमंदों के जरिए इस्तेमाल में लाये जाने वाले झंडे, बिल्ले, दुपट्टा, बैज आदि के विक्रेताओं में केवल मुसलमान ही नहीं बल्कि हिंदू भी शमिल हैं। जो अपने आप में यह पैगाम देने के लिए काफी है कि ’’ मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना’’। शहर के अलग-अलग बाजारों में जुलूस-ए-मुहम्मदी से सबंधित सामानों की बिक्री जोर-शोर से जारी है। खासतौर पर झंडे और बैनरों के लिए मशहूर बाजार नखास चौक इन दिनों इस्लामिक झंडों और बैनरों से पटा पड़ा है। यहां की दुकानों में पांच रूपए से लेकर 150 रूपए तक के झंडे व बैनर उपलब्ध है। हालांकि नोटबंदी के बाद इस बाजार पर काफी असर पड़ा है। उसके बावजूद अकीदतमंद जरूरत के मुताबिक सामान खरीदने से गुरेज नहीं कर रहे है। नखास पर मकबूल कार्ड इम्पोरियम के मुख्तार हसन  बता...

इस्लाम ने औरत को घर की मलिका बनाया, इज्जत दी : अल्लामा मौलाना मसऊद अहमद

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इस्लाम ने औरत को घर की मलिका बनाया, इज्जत दी : अल्लामा मौलाना मसऊद अहमद -नौजवान तलाक का बेजा इस्तेमाल न करें -यूरोप की सारी तरक्की मुसलमानों की देन हैं -इल्म के साथ अख्लाक व किरदार भी संवारे प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया गोरखपुर। आजकल मुस्लिम औरतों के मसायल के मुताल्लिक हिन्दुस्तान में बड़ा हंगामा हैं। औरतों को मिसगाइड किया जा रहा हैं। औरतों को समझाया जाता हैं कि इस्लाम औरतों को दबा कर रखता हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं हैं। आप अगर इस्लाम के कवानीन पर गौर करें तो महसूस होगा कि दुनिया में इस्लाम वह वाहिद मजहब हैं जिसने औरतों को घर की मलिका बना दिया। यह बातें अलजामियतुल अशरफिया अरबी यूनिवर्सिटी मुबारकपुर के मौलाना मसऊद अहमद बरकाती ने मियां साहब इस्लामियां इंटर कॉलेज बक्शीपुरर में जलसा सीरतुन्नबी के दौरान कहीं। उन्होंने बताया कि ब्रिटेन में एक सेमिनार के दौरान एक महिला ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कह दिया कि दुनिया के किसी मजहब ने औरतों के साथ इंसाफ नहीं किया हैं यहां तक की इस्लाम ने भी। हक ए तलाक मर्द को देकर औरतों को मजबूर बना दिया।  वहीं हमारे जमात के अल्लामा अरशदुल क...

शरीयत में मुस्लिम महिलाएं खुश, इसी का पालन करेंगी : फारिहा

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फाइल फोटो -मुस्लिम महिला सम्मेलन गोरखपुर। इस्लामिक एजुकेशनल रिसर्च आर्गनाइजेशन इलाहाबाद की फारिहा बिन्ते हकीमुल्लाह ने कहा कि तीन तलाक के मसले पर मुस्लिम महिलाओं को सरकार का फैसला मंजूर नहीं हैं। मुस्लिम महिलाएं शरीयत पर ही अमल करेंगी। सरकार इस मामले में दखल न दें। जब हमें कोई परेशानी नहीं तो सरकार को शरीयत में दखल नहीं देना चाहिए।  हमें मजहबी हक संविधान देता हैं। उन्होंने कहा कि तलाक का मामला बहुत संवेदनशील हैं। यह खुदा द्वारा दी गयी राह हैं, अगर किसी  मर्द या औरत के दरमियान इतने काम्पलिकेशन आ जायें कि अब उनका रहना दुश्वार हो जायें तो तलाक के जरिए अलग हो सकते हैं। लेकिन जो तरीका हैं इस्लाम का , अगर आप सोचेंगे समझेंगे तो तलाक की नौबत ही नहीं आयेगी। क्योंकि जिस तरह इस्लाम ने बताया कि शौहर और बीवी के बीच कोई प्राब्लम आयें तो पहले वह बैठकर डिस्कशन करें। शौहर बीवी को समझायें।बड़ों के सामने बात रखी जायें।जब सारा तरीका नाकाम हो जायें और फिर कोई राह नहीं निकल रही हो तब तलाक की प्रक्रिया होगी । फारिहा सोमवार को ऊंचवा स्थित आईडीयल मैरेज हाउस में इराकी वेलफेयर सोसाइटी के मुस्लिम...

Exclusive : गोरखपुर की मुस्लिम महिलाएं मुस्लिम पर्सनल लॉ के स्पोर्ट् में, शपथ पत्र भरना शुरु किया

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गोरखपुर की मुस्लिम महिलाएं मुस्लिम पर्सनल लॉ के स्पोर्ट् में , शपथ पत्र भरना शुरु किया -शरीयत मुस्लिम महिलाओं की आबरु हैं, इसमें दखल कबूल नहीं, -सोमवार को धर्म गुरुओं की बैठक गोरखपुर। शहर की महिलाएं शरीयत में दखलअंदाजी के खिलाफ हैं। उनका कहना हैं कि शरीयत अल्लाह व रसूल का दिया हुआ कानून हैं इसमें कोई तब्दीली बर्दाश्त नहीं की जायेगी। महिलाओं ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा जारी प्रोफार्मा (शपथ पत्र)  भरना शुरु कर दिया हैं। हालंकि यह शपथ पत्र अभी व्यक्तिगत तौर पर लोग खुद रुचि लेकर भर रहे हैं।  सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शपथ पत्र बांटने व भरवाने के अभियान को  धार देने के लिए सोमवार को प्रात: 10 बजे ऊंचवां स्थित नासिर लाइब्रेरी में तमाम मकतबें फिक्र के मुस्लिम धर्मगुरुओं व बुद्धजीवियों की बैठक होगी। इसके बाद शहर से गांव तक इस अभियान में तेजी लाने पर रणनीति बनायी जायेगी। एआईएमपीएलबी का शपथ पत्र विभिन्न सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों से मुस्लिम घरो में पहुंच रहा है।  लोगों ने भरना शुरु कर दिया हैं। ये शपथ पत्र भरकर 12 नवंबर से पहले एआईएमप...

शहाना अंदाज में निकला मियां साहब का शाही जुलूस

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शहाना अंदाज में निकला मियां साहब का शाही जुलूस  - जोरदार खैरमकदम -  नौवीं मुहर्रम के जुलूस में उमड़ी भारी भीड़ गोरखपुर। इमामबाडा स्टेट से निकलने वाला नौवीं मुहर्रम का रिवायती शाही जुलूस मंगलवार की रात पूरे लाव लश्कर के साथ निकला।  इमामबाड़ा स्टेट के सज्जादानशीन अदनान फर्रूख शाह उर्फ मियां साहब की अगुवाई में निकले जुलूस में बड़ी संख्या में लोग शमिल हुए। जगह-जगह जुलूस का जोरदार खैरमकदम (स्वागत) किया गया। रात 12.30 बजे के बाद  मियां साहब अपने काफिले के साथ जुलूस लेकर इमामबाड़े स्टेट के पश्चिमी गेट से निकलें । काफिले में बैंडबाजा, परंपरागत ढोल ताशा के साथ उनके निजी सुरक्षा गार्ड रंग-बिरंगे पोशाक में जुलूस की शोभा बढा रहे थें। जुलूस सबसे पहले कमाल शहीद के मजार पर पहुचा जहां मियां साहब ने अपने साथियों के साथ फातेहा पढ़ी। चौराहिया गोला में लोगों ने मियां साहब का जबरदस्त इस्तकबाल किया गया और जुलूस में शामिल हो गए। बक्शीपुर इमामबाड़ा पहुंचने पर लोगों ने मियां साहब को फूल मालाओं से लाद दिया । इस्माईलपुर और नखास पर भी जुलूस का स्वागत किया गया। बक्शीपुर से निकलने...

इमामचौकों पर रखे गए ताजिया, हुई नियाज फातिहा

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हजरत इमाम हुसैन व अहले बैत के नाम से दिलायी गयी फातिहा, मेले का उठाया लुत्फ गोरखपुर। नौवीं मुहर्रम को तमाम इमामचौकों पर ताजिया रख दिए गए। हजरत इमाम हुसैन व उनके साथियों के नाम से फातिहा दिलायी। घरों में मलीदा, शर्बत व खिचड़ा बनाकर गरीबों में बांटा गया। अकीदतमंदों ने इमामचौकों पर बड़े ताजिया के साथ छोटे ताजिया मन्नत के तौर पर रखे। घरों व मस्जिदों में जिक्रे हुसैन की महफिल हुई। करबला की दास्तान बतायी गयी। वहीं इमामबाड़ा स्टेट में मेला अपने शबाब पर हैं। जहां लोग हजरत रौशन अली शाह रह. की मजार पर फातिहा पढ़ रहे थे वहीं लोग सोन् चांदी की ताजिया का दीदार भी कर रहे थे। खरीददारी भी जमकर हो रही थी। कई सामानों पर भारी छूट दी जा रही थी। पूरी रात मेला परिसर लोगों से भरा रहा। बक्शीपुर, अस्करगंज, मियां बाजार, छोटे काजीपुर, खुनीपुर, रहमतनगर सहित तमाम मुहल्लों के जुलूस निकले। देर रात लाइन की ताजिया का जुलूस निकला। जिसमें 250 से ज्यादा ताजियां आकर्षण का केंद्र रही। लाइन की ताजियों का यह जुलूस गोलघर, बनकटी चक, रेलवे कालोनी, बिछिया कालोनी, घोषी पुरवा, गोरखनाथ, रसूलपुर, हुमायूंपुर सहित तमाम जगहों से...

जिसके कदमों से जन्नत बनी करबला...उस हुसैन इब्ने हैदर पे लाखों सलाम

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जिसके कदमों से जन्नत बनी करबला...उस हुसैन इब्ने हैदर पे लाखों सलाम गोरखपुर। टूटे हुए दिलों का सहारा हुसैन है। डूबे न जो फलक पे वह तारा हुसैन है।। अहले खि़रद समझ न सके क्या हुसैन है। नाना के जिस्मे पाक का साया हुसैन है। ईमान और कुफ्र में निस्बत कोई नहीं। दुनिया है रात और सवेरा हुसैन है।। यह भी तुम्हें ख्याल न आया यजीदियों। सरकारें दो जहां का नवासा हुसैन है।।  होकर शहीद, जिन्दगी- ए- जाविंदा मिली। जिन्दा था और आज भी जिन्दा हुसैन है।। // // जिसको झूला फरिशते झूलाते रहे। लोरियां दे के नूरी सुलाते रहे। जिसको सीने से आका लगाते रहे। उस हुसैन इब्ने हैदर पे लाखों सलाम। तीन दिन भूखा-प्यासा जो रखा गय। जो रहा पैकरे शाने सब्र व रज़ा। जिससे राजी था लारैब उसका खुदा। जिसके कदमों से जन्नत बनी करबला। उस हुसैन इब्ने हैदर पे लाखों सलाम// ऐ करबला की खाक़! उस एहसान को न भूल। तड़पी है तुझ पे लाशे जिगर गोशए रसूल। इस्लाम के लहू से तेरी प्यास बुझ गई। सैराब कर गया तुझे खूने रगे रसूल।// तेरी कुर्बानी ने जिन्दा कर दिया इस्लाम को। वह रहेगा ता अबद तेरी बदौलत ऐ हुसैन! मिल्लते इस्लाम को मिलता है...

मुहर्रम में यह काम करेंगे मिलेगा सवाब

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मुहर्रम में यह काम करेंगे मिलेगा सवाब मुहर्रम  के दसों दिन खुसूसन आशूरह के दिन मजलिस मुनअकिद करना और सही रिवायतों के साथ हजरत सैयदना इमाम हुसैन व शोहदाए करबला के फजाइल और वाकियाते करबला बयान करना जायज व बाइसे सवाब है। हदीस शरीफ में है जिस मजलिस में सालिहीन का जिक्र हो, वहां रहमत का नुजूल होता है। ------------------  आशूरह के दिन दस चीजों को उलमाए किराम ने मुस्तहब लिखा है। बाज उलमा ने उसे इरशादे रसूल और बाज नेउसे हजरत अली का कौल बताया है। बहरहाल ! यह सब काम अच्छे काम है, उनको करना चाहिए।रोजा रखना,सदका करना, नवाफिल पढ़ना, एक हजार मर्तबा सूरः इख्लास पढ़ना, उलमा और औलिया की जियारत करना, यतीमों के सर पर हाथ रखना, अपने घर वालों पर खाने में वुस्अत व फराखी करना,सुरमा लगाना, गुस्ल करना, नाखुन तराशना और मरीजों की बीमार पुर्सी करना , इमाम आली मकाम व दीगर के नाम की फातिहा करना।

क्या आपने देखी है भारत में सैकड़ों सालों से बन रही गोरखपुर की गेहूं की ताजिया

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क्या आपने देखी है भारत में सैकड़ों सालों से बन रही गोरखपुर की गेहूं की ताजिया -चौथी मुहर्रम से शुरू होता  निमार्ण नौवीं (अाने वाले मंगलवार) को दर्शन के लिए आम -मिट्टी का प्रयोग नहीं होता - ताजिया की शोहरत दूर दूर तक -मन्नतें होती  पूरी SYED FARHAN AHMAD  गोरखपुर। आपने मुहर्रम माह में ताजिया जरूर देखा होगा। आज हम आपको बता रहे भारत में सैकड़ों से सालों से तैयार हो रही गेहूं की ताजिया के बारे में। जो बनती है सिर्फ गोरखपुर में। मियां साहब इमामबाड़े में रखे सोने-चांदी, लकड़ी की ताजिया  की तरह दूर तलक इस  इको फ्रैंडली गेहूं की ताजिया की भी  शोहरत है। यह ताजिया तैयार होती है पूर्वांचल की बड़ी व्यापारिक मंडी साहबगंज में। गेहूं की ताजियां उम्दा कारीगरी और विज्ञान का उम्दा नमूना। साहबगंज में स्थित इमामचैक पर गेहूं  की ताजिया अपने आप में अनोखी और प्राकृतिक जुड़ाव अपने अंदर समेटे हुये है। सैकड़ों सालों से इस गेहूं की ताजिया का निमार्ण प्रत्येक मुहर्रम में किया जाता है। आठ फीट ऊंची गेहूं की ताजिया के निमार्ण में करीब 25 किलो गेहूं के उत्तम किस्म के...

शान से निकला मियां साहब का रिवायती शाही जुलूस

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पांचवी का रिवायती शाही जुलूस शाही अंदाज में निकला मियां साहब का जुलूस  इस्तकबाल में उमड़ी भीड़ गोरखपुर। मियां साहब इमामबाड़ा स्टेट गोरखपुर से पांचवी मोहर्रम का शाही जुलूस अपनी पुरानी रिवायत के मुताबिक परम्परागत तरीके से अपनी पूरी शानों शौकत के साथ शुक्रवार को निकाला गया। जगह-जगह जुलूस का जोरदार खैरमकदम (स्वागत) किया गया। सुबह से सड़कें पर नजर टिकी हुई थी। इंतजार हो रहा था फौज का। सफेद लिबास, खाकी वर्दी, घुड़सवार और सभी के हाथों में फौजियों वाले भाले, बंदूकें, बीच में लकदक सफेद लिबास में चल रहे मियां साहब जैसे ही दिखे.....शोर उठा मियां साहब आ गए। अहिस्ता-अहिस्ता कदम बढ़ा रहे मियां साहब को देखने क लिए भीड़ बेताब हो उठी। जुलूस गुजरा तो लोग पीछे-पीछे चलने लगे। एक कारवां चल पड़ा जो कि फिर इमामबाड़ा में ही पहुंच कर समाप्त हुआ। बीते तीन सौ साल से निकल रहे मियां साहब के पांचवी का जुलूस पश्चिमी फाटक से सुबह 9 बजे निकला। जुलूस में चल रहे मियां साहब ने कमाल शाह की मजार पर फाातिहा पढ़ा। इसके बाद जुलूस बक्शीपुर की ओर मुड़ा। जुलूस के सबसे आगे इमामबाड़ा स्टेट का परचम और उनके पीछ...

कैसे भूलें हम तेरा यौमे शहादत ऐ हुसैन!

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 गोरखपुर । तेरी कुर्बानी ने जिन्दा कर दिया इस्लाम को।  वह रहेगा ता अबद तेरी बदौलत ऐ हुसैन! मिल्लते इस्लाम को मिलता है एक दर्से ह्या! कैसे भूलें हम तेरा यौमे शहादत ऐ हुसैन! हाल मेरा कुछ भी हो, मेरा अकीदा है यही! बख्शवाएगी मुझे तेरी मोहब्बत ऐ हुसैन। मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार के सहायक अध्यापक मोहम्मद आजम ने किताबों के हवाले से बताया कि मुखबिरे सादिक गैब दा नबी ने अपने नवासे इमाम हुसैन की पैदाइश के साथ ही आपकी शहादते उजमा के बारे में खबर दे दी थी। हजरत अली, हजरत फातिमा, हजरत हसन और खुद इमाम हुसैन भी जानते थे कि एक दिन करबला के मकाम पर शहीद किया जाऊंगा। लेकिन किसी ने भी और खुद इमाम हुसैन ने भी कभी किसी किस्म का शिकवा जुबान पर नहीं लाया। बल्कि निहायत खन्दा पेशानी के साथ अपनी शहादत की खबर सुनते रहे।  हदीस शरीफ में आया है कि हजरत उम्मे फजल बिन्ते हारिस पत्नी हजरत अब्बास फरमाती है कि मैंने एक रोज पैगम्बर साहब की खिदमत में हाजिर होकर हजरत इमाम हुसैन को आपकी गोद में दिया फिर मैं क्या देखती हूं कि पैगम्बर साहब की आंखों से लगातार आंसू बह रहे है। मैंने ...

जानिए मियां साहब के ऐतिहासिक गश्त व शाही जुलूस के बारे में

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इमामबाड़े में ऐतिहासिक गश्त आज से शुरू शाही जुलूस पांच मुहर्रम से गोरखपुर। इममाबाड़ा परिसर में मियां साहब का गश्त मुहर्रम की तीन, चार, छह, सात एवं आठ तारीख की शाम से शुरू होता है। मियां साहब का गश्ती जुलूस उनके सहयोगियों के साथ पूरे इमामबाड़े का गश्त करते हुए पश्चिम फाटक से निकल कर उत्तर फाटक से प्रवेश करता है और फातिहा के बाद समाप्त होता है। मियाॅं साहब का जुलूस मुहर्रम की पांच, नौ एवं दस तारीख को इमामबाड़े से बाहर निकलता है तथा अपने पूर्व निर्धारित मार्गाें से होता हुआ इमामबाड़े में प्रवेश करता है। मियां साहब के शाही जुलूस को देखने के लिए दूर-दराज के इलाकों से भारी संख्या में बच्चे, बूढ़े जवान एवं महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। मुहर्रम हजरत इमाम हुसैन एवं उनके साथियों की कर्बला के मैदान में हुई उनकी शहादत की याद में उनको खेराजे अकीदत पेश करने के लिए याद किया जाता है।

जानिए कब होगी मियां साहब की गश्त, कब निकलेगा शाही जुलूस

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इमामबाड़े में ऐतिहासिक गश्त आज से शुरू शाही जुलूस पांच मुहर्रम से गोरखपुर। इममाबाड़ा परिसर में मियां साहब का गश्त मुहर्रम की तीन, चार, छह, सात एवं आठ तारीख की शाम से शुरू होता है। मियां साहब का गश्ती जुलूस उनके सहयोगियों के साथ पूरे इमामबाड़े का गश्त करते हुए पश्चिम फाटक से निकल कर उत्तर फाटक से प्रवेश करता है और फातिहा के बाद समाप्त होता है। मियाॅं साहब का जुलूस मुहर्रम की पांच, नौ एवं दस तारीख को इमामबाड़े से बाहर निकलता है तथा अपने पूर्व निर्धारित मार्गाें से होता हुआ इमामबाड़े में प्रवेश करता है। मियां साहब के शाही जुलूस को देखने के लिए दूर-दराज के इलाकों से भारी संख्या में बच्चे, बूढ़े जवान एवं महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। मुहर्रम हजरत इमाम हुसैन एवं उनके साथियों की कर्बला के मैदान में हुई उनकी शहादत की याद में उनको खेराजे अकीदत पेश करने के लिए याद किया जाता है।

जानिए कब होगी मियां साहब की गश्त, कब निकलेगा शाही जुलूस

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इमामबाड़े में ऐतिहासिक गश्त आज से शुरू शाही जुलूस पांच मुहर्रम से गोरखपुर। इममाबाड़ा परिसर में मियां साहब का गश्त मुहर्रम की तीन, चार, छह, सात एवं आठ तारीख की शाम से शुरू होता है। मियां साहब का गश्ती जुलूस उनके सहयोगियों के साथ पूरे इमामबाड़े का गश्त करते हुए पश्चिम फाटक से निकल कर उत्तर फाटक से प्रवेश करता है और फातिहा के बाद समाप्त होता है। मियाॅं साहब का जुलूस मुहर्रम की पांच, नौ एवं दस तारीख को इमामबाड़े से बाहर निकलता है तथा अपने पूर्व निर्धारित मार्गाें से होता हुआ इमामबाड़े में प्रवेश करता है। मियां साहब के शाही जुलूस को देखने के लिए दूर-दराज के इलाकों से भारी संख्या में बच्चे, बूढ़े जवान एवं महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। मुहर्रम हजरत इमाम हुसैन एवं उनके साथियों की कर्बला के मैदान में हुई उनकी शहादत की याद में उनको खेराजे अकीदत पेश करने के लिए याद किया जाता है।