Exclusive : गोरखपुर की मुस्लिम महिलाएं मुस्लिम पर्सनल लॉ के स्पोर्ट् में, शपथ पत्र भरना शुरु किया
गोरखपुर की मुस्लिम महिलाएं मुस्लिम पर्सनल लॉ के स्पोर्ट् में
, शपथ पत्र भरना शुरु किया
-शरीयत मुस्लिम महिलाओं की आबरु हैं, इसमें दखल कबूल नहीं,
-सोमवार को धर्म गुरुओं की बैठक
गोरखपुर। शहर की महिलाएं शरीयत में दखलअंदाजी के खिलाफ हैं। उनका कहना हैं कि शरीयत अल्लाह व रसूल का दिया हुआ कानून हैं इसमें कोई तब्दीली बर्दाश्त नहीं की जायेगी। महिलाओं ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा जारी प्रोफार्मा (शपथ पत्र) भरना शुरु कर दिया हैं। हालंकि यह शपथ पत्र अभी व्यक्तिगत तौर पर लोग खुद रुचि लेकर भर रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शपथ पत्र बांटने व भरवाने के अभियान को धार देने के लिए सोमवार को प्रात: 10 बजे ऊंचवां स्थित नासिर लाइब्रेरी में तमाम मकतबें फिक्र के मुस्लिम धर्मगुरुओं व बुद्धजीवियों की बैठक होगी। इसके बाद शहर से गांव तक इस अभियान में तेजी लाने पर रणनीति बनायी जायेगी।
एआईएमपीएलबी का शपथ पत्र विभिन्न सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों से मुस्लिम घरो में पहुंच रहा है। लोगों ने भरना शुरु कर दिया हैं। ये शपथ पत्र भरकर 12 नवंबर से पहले एआईएमपीएलबी के हेड आफिस दिल्ली भिजवाने की गुजारिश की जा रही हैं। शपथ पत्र में दिए गए पते पर शपथ पत्र रजिस्टर्ड डाक से भेजा जा सकता हैं। इसके अलावा शपथ पत्र भरकर स्कैन कर बोर्ड की ईमेल आईडी aimplbsc@gmail.com पर भी भेजें जा सकते हैं।
-पासपोर्ट या आधार कार्ड या पेन कार्ड नंबर जरूरी
आल इंडिया मुस्लिम पर्सन ला बोर्ड के शपथ पत्र एक साथ आठ लोग अपना समर्थन दे सकते हैं। इसमें शपथ देने वाले का नाम, पता और हस्ताक्षर होगा। इसके अलावा सबसे अहम आधार कार्ड, पासपोर्ट या पेन कार्ड में किसी एक का नंबर भी अंकित करना है।
मुस्लिम महिलाओं के बोल :-शरीयत महिलाओं की आबरु हैं, इसमें दखल कबूल नहीं,
-मोहल्ला खोखरटोला की रहने वाले शिक्षिका गौसिया सुम्बल ने कहा कि इस्लाम ने औरतों को इज्जत दी। लड़कियों को जिंदा दफन करना, सती प्रथा, दासी प्रथा, विधवाओं के साथ बुरा सलूक करना यह समाज का दस्तूर था। इस्लामी शरीयत ने इसे खत्म किया। जहां से औरतों को इज्जत मिली उस कानून में रद्दो बदल मंजूर नहीं।
-तुर्कमानपुर की फातिमा कहती हैं इस्लाम ने हमें केवल हक हकूक ही नहीं जीने का करीना भी सिखाया हैं। हम आखिरी दम तक शरीयत पर अमल करेंगी। यह इंसान का बनाया हुआ कानून नहीं। यह ताकयामत तक के मुसलमानों के लिए हैं।
-इलाहीबाग की निकहत ने कहा कि इस्लामी कानून को बदलने का हक किसी को नहीं। कानून वो लोग बदलना चाहते है जिन्होंने गुजरात में औरतों के पेट फड़वा दिए। औरतों की इज्जत पामाल की गयी। मुजफ्फरनगर में औरतों पर जुल्म किए गए। शरीयत हर मुस्लिम महिला की आबरु हैं इसे नहीं उतारा जा सकता।
-तुर्कमानपुर की हफीजुननिशा ने कहा कि इस्लामी शरीयत हमारा गहना है।इसे हम छिनने नहीं देंगी। जिसवक्त लड़कियों को जिंदा दफन किया जा रहा था उस वक्त रसूल ने फरमाया जिसने लड़कियों की परवरिश की उसे जन्नत मिलेगी। दिखा दो दुनिया की किसी किताब में इस तरह लिखा हो। हमारा खुदा सच्चा, रसूल सच्चा, कुरआन सच्चा। तो जो चीज सच्ची है उसे झुठलाया कैसे जा सकता हैं। महिलाओं की इज्जत आये दिन लूटी जा रही हैं। महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ रहा हैं उसे तो सरकार रोक नहीं पा रहे हैं। मुस्लिम महिलाओं के हक की बात करने वाली भारतीय संस्कृति, सभ्यता, संविधान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इस्लामी शरीयत में एक नक्ते का बदलाव मंजूर नहीं। सरकार की साजिश है तमाम जरुरी मुद्दो से ध्यान भटकाने की।
क्या है मामला :-
बताते चलें कि तीन तलाक के पक्ष और एक समान नागरिक संहिता के विरोध में एआईएमपीएलबी महिलाओं का समर्थन जुटाने में लगा है। इसके लिए एआईएमपीएलबी ने शपथ पत्र तैयार किया है। जिसे देशभर में की मस्जिदों व मुस्लिम इलाकों में बंटवाया जा रहा है। शपथ पत्र के जरिए बोर्ड ला कमीशन को जवाब देगा।
बतातें चलें कि तीन तलाक के विरोध में केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करने के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड हरकत में आ गया है। चंद मुस्लिम महिलाओं के सुप्रीम कोर्ट जाने की वजह से पूरा मामला उठा है, लिहाजा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मुस्लिम महिलाओं को ही आगे करके इसकी धार को कुंद करना चाहता है।
मुस्लिम समुदाय में तीन तलाक और बहुविवाह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के दाखिल हलफनामे को लेकर मुस्लिम उलमा ने नाराजगी जाहिर की है। आला हजरत दरगाह बरेली द्वारा बड़ा अभियान चलाने की बात कहीं गयी हैं। देवबंद में भी जमकर विरोध शुरु हो चुका हैं।
आल इंडिया मुस्लिम पर्सन ला बोर्ड का समर्थन कर उलमा ने साफ किया कि धार्मिक मामलों में सरकार का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे।
क्या लिखा है प्रोफॉर्मा में
इस प्रोफॉर्मा में महिलाओं की ओर से यह लिखा गया है कि वे तलाक, खोला, फस्ख और विरासत के दीनी अहकाम से पूरी तरह सहमत हैं और इनमें किसी तरह के फेरबदल की जरूरत या गुंजाइश से इन्कार करती हैं। इसके अलावा यह भी लिखा गया है कि मुस्लिम महिलाएं शरियत में कोई बदलाव नहीं चाहतीं, बल्कि समाज की खराबियों को बदलने और बिगड़ी आदतें सुधार कर ईमानदारी के साथ शरियत पर अमल करने की जरूरत है.
पुरुषों के लिए अलग परफॉर्मा
बोर्ड ने जो पत्र भेजा है, उसके साथ दो परफॉर्मा दिया गया है। एक मर्दो के लिए है, तो दूसरा औरतों के लिए। मर्दो के लिए जो परफॉर्मा दिया गया है, उसमें भी वही बातें कही गई हैं, जो औरतों के लिए तय परफॉर्मा में कहा गया है। इसके अलावा पुरुषों की ओर से कहा गया है कि भारत में हर धर्म के मानने वालों को धर्म पर चलने की पूरी स्वतंत्रता संविधान ने दी है। अत: हमें किसी भी रूप में यूनिफॉर्म सिविल कोड स्वीकार नहीं है।
ऑन लाइन भेजा हैं पत्र
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस पत्र को सभी राज्यों को ऑन लाइन ही भेज दिया है। कई लोगों को यह व्हाट्स एप पर मिला है। अब इसका प्रिंट लेकर आम लोगों को दिए जा रहा है।
आम मुसलमानों के नाम बोर्ड का पत्र
जैसा कि आप सबों को मालूम है कि तलाक, हलाला और चार शादियों को खत्म करने और यूनिफॉर्म सिविल कोड के सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट में एक मुकदमा चल रहा है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपना हलफनामा दाखिल कर दिया है और अब हुकूमत- ए- हिंद ने भी अपना हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें तलाक, हलाला, चार शादियों को औरतें के बुनियादी हुकूक के खिलाफ करार दिया गया है।
, शपथ पत्र भरना शुरु किया
-शरीयत मुस्लिम महिलाओं की आबरु हैं, इसमें दखल कबूल नहीं,
-सोमवार को धर्म गुरुओं की बैठक
गोरखपुर। शहर की महिलाएं शरीयत में दखलअंदाजी के खिलाफ हैं। उनका कहना हैं कि शरीयत अल्लाह व रसूल का दिया हुआ कानून हैं इसमें कोई तब्दीली बर्दाश्त नहीं की जायेगी। महिलाओं ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा जारी प्रोफार्मा (शपथ पत्र) भरना शुरु कर दिया हैं। हालंकि यह शपथ पत्र अभी व्यक्तिगत तौर पर लोग खुद रुचि लेकर भर रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शपथ पत्र बांटने व भरवाने के अभियान को धार देने के लिए सोमवार को प्रात: 10 बजे ऊंचवां स्थित नासिर लाइब्रेरी में तमाम मकतबें फिक्र के मुस्लिम धर्मगुरुओं व बुद्धजीवियों की बैठक होगी। इसके बाद शहर से गांव तक इस अभियान में तेजी लाने पर रणनीति बनायी जायेगी।
एआईएमपीएलबी का शपथ पत्र विभिन्न सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों से मुस्लिम घरो में पहुंच रहा है। लोगों ने भरना शुरु कर दिया हैं। ये शपथ पत्र भरकर 12 नवंबर से पहले एआईएमपीएलबी के हेड आफिस दिल्ली भिजवाने की गुजारिश की जा रही हैं। शपथ पत्र में दिए गए पते पर शपथ पत्र रजिस्टर्ड डाक से भेजा जा सकता हैं। इसके अलावा शपथ पत्र भरकर स्कैन कर बोर्ड की ईमेल आईडी aimplbsc@gmail.com पर भी भेजें जा सकते हैं।
-पासपोर्ट या आधार कार्ड या पेन कार्ड नंबर जरूरी
आल इंडिया मुस्लिम पर्सन ला बोर्ड के शपथ पत्र एक साथ आठ लोग अपना समर्थन दे सकते हैं। इसमें शपथ देने वाले का नाम, पता और हस्ताक्षर होगा। इसके अलावा सबसे अहम आधार कार्ड, पासपोर्ट या पेन कार्ड में किसी एक का नंबर भी अंकित करना है।
मुस्लिम महिलाओं के बोल :-शरीयत महिलाओं की आबरु हैं, इसमें दखल कबूल नहीं,
-मोहल्ला खोखरटोला की रहने वाले शिक्षिका गौसिया सुम्बल ने कहा कि इस्लाम ने औरतों को इज्जत दी। लड़कियों को जिंदा दफन करना, सती प्रथा, दासी प्रथा, विधवाओं के साथ बुरा सलूक करना यह समाज का दस्तूर था। इस्लामी शरीयत ने इसे खत्म किया। जहां से औरतों को इज्जत मिली उस कानून में रद्दो बदल मंजूर नहीं।
-तुर्कमानपुर की फातिमा कहती हैं इस्लाम ने हमें केवल हक हकूक ही नहीं जीने का करीना भी सिखाया हैं। हम आखिरी दम तक शरीयत पर अमल करेंगी। यह इंसान का बनाया हुआ कानून नहीं। यह ताकयामत तक के मुसलमानों के लिए हैं।
-इलाहीबाग की निकहत ने कहा कि इस्लामी कानून को बदलने का हक किसी को नहीं। कानून वो लोग बदलना चाहते है जिन्होंने गुजरात में औरतों के पेट फड़वा दिए। औरतों की इज्जत पामाल की गयी। मुजफ्फरनगर में औरतों पर जुल्म किए गए। शरीयत हर मुस्लिम महिला की आबरु हैं इसे नहीं उतारा जा सकता।
-तुर्कमानपुर की हफीजुननिशा ने कहा कि इस्लामी शरीयत हमारा गहना है।इसे हम छिनने नहीं देंगी। जिसवक्त लड़कियों को जिंदा दफन किया जा रहा था उस वक्त रसूल ने फरमाया जिसने लड़कियों की परवरिश की उसे जन्नत मिलेगी। दिखा दो दुनिया की किसी किताब में इस तरह लिखा हो। हमारा खुदा सच्चा, रसूल सच्चा, कुरआन सच्चा। तो जो चीज सच्ची है उसे झुठलाया कैसे जा सकता हैं। महिलाओं की इज्जत आये दिन लूटी जा रही हैं। महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ रहा हैं उसे तो सरकार रोक नहीं पा रहे हैं। मुस्लिम महिलाओं के हक की बात करने वाली भारतीय संस्कृति, सभ्यता, संविधान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इस्लामी शरीयत में एक नक्ते का बदलाव मंजूर नहीं। सरकार की साजिश है तमाम जरुरी मुद्दो से ध्यान भटकाने की।
क्या है मामला :-
बताते चलें कि तीन तलाक के पक्ष और एक समान नागरिक संहिता के विरोध में एआईएमपीएलबी महिलाओं का समर्थन जुटाने में लगा है। इसके लिए एआईएमपीएलबी ने शपथ पत्र तैयार किया है। जिसे देशभर में की मस्जिदों व मुस्लिम इलाकों में बंटवाया जा रहा है। शपथ पत्र के जरिए बोर्ड ला कमीशन को जवाब देगा।
बतातें चलें कि तीन तलाक के विरोध में केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करने के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड हरकत में आ गया है। चंद मुस्लिम महिलाओं के सुप्रीम कोर्ट जाने की वजह से पूरा मामला उठा है, लिहाजा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मुस्लिम महिलाओं को ही आगे करके इसकी धार को कुंद करना चाहता है।
मुस्लिम समुदाय में तीन तलाक और बहुविवाह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के दाखिल हलफनामे को लेकर मुस्लिम उलमा ने नाराजगी जाहिर की है। आला हजरत दरगाह बरेली द्वारा बड़ा अभियान चलाने की बात कहीं गयी हैं। देवबंद में भी जमकर विरोध शुरु हो चुका हैं।
आल इंडिया मुस्लिम पर्सन ला बोर्ड का समर्थन कर उलमा ने साफ किया कि धार्मिक मामलों में सरकार का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे।
क्या लिखा है प्रोफॉर्मा में
इस प्रोफॉर्मा में महिलाओं की ओर से यह लिखा गया है कि वे तलाक, खोला, फस्ख और विरासत के दीनी अहकाम से पूरी तरह सहमत हैं और इनमें किसी तरह के फेरबदल की जरूरत या गुंजाइश से इन्कार करती हैं। इसके अलावा यह भी लिखा गया है कि मुस्लिम महिलाएं शरियत में कोई बदलाव नहीं चाहतीं, बल्कि समाज की खराबियों को बदलने और बिगड़ी आदतें सुधार कर ईमानदारी के साथ शरियत पर अमल करने की जरूरत है.
पुरुषों के लिए अलग परफॉर्मा
बोर्ड ने जो पत्र भेजा है, उसके साथ दो परफॉर्मा दिया गया है। एक मर्दो के लिए है, तो दूसरा औरतों के लिए। मर्दो के लिए जो परफॉर्मा दिया गया है, उसमें भी वही बातें कही गई हैं, जो औरतों के लिए तय परफॉर्मा में कहा गया है। इसके अलावा पुरुषों की ओर से कहा गया है कि भारत में हर धर्म के मानने वालों को धर्म पर चलने की पूरी स्वतंत्रता संविधान ने दी है। अत: हमें किसी भी रूप में यूनिफॉर्म सिविल कोड स्वीकार नहीं है।
ऑन लाइन भेजा हैं पत्र
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस पत्र को सभी राज्यों को ऑन लाइन ही भेज दिया है। कई लोगों को यह व्हाट्स एप पर मिला है। अब इसका प्रिंट लेकर आम लोगों को दिए जा रहा है।
आम मुसलमानों के नाम बोर्ड का पत्र
जैसा कि आप सबों को मालूम है कि तलाक, हलाला और चार शादियों को खत्म करने और यूनिफॉर्म सिविल कोड के सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट में एक मुकदमा चल रहा है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपना हलफनामा दाखिल कर दिया है और अब हुकूमत- ए- हिंद ने भी अपना हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें तलाक, हलाला, चार शादियों को औरतें के बुनियादी हुकूक के खिलाफ करार दिया गया है।


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