मुहर्रम में यह काम करेंगे मिलेगा सवाब
मुहर्रम में यह काम करेंगे मिलेगा सवाब
मुहर्रम के दसों दिन खुसूसन आशूरह के दिन मजलिस मुनअकिद करना और सही रिवायतों के साथ हजरत सैयदना इमाम हुसैन व शोहदाए करबला के फजाइल और वाकियाते करबला बयान करना जायज व बाइसे सवाब है। हदीस शरीफ में है जिस मजलिस में सालिहीन का जिक्र हो, वहां रहमत का नुजूल होता है।
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आशूरह के दिन दस चीजों को उलमाए किराम ने मुस्तहब लिखा है। बाज उलमा ने उसे इरशादे रसूल और बाज नेउसे हजरत अली का कौल बताया है। बहरहाल ! यह सब काम अच्छे काम है, उनको करना चाहिए।रोजा रखना,सदका करना, नवाफिल पढ़ना, एक हजार मर्तबा सूरः इख्लास पढ़ना, उलमा और औलिया की जियारत करना, यतीमों के सर पर हाथ रखना, अपने घर वालों पर खाने में वुस्अत व फराखी करना,सुरमा लगाना, गुस्ल करना, नाखुन तराशना और मरीजों की बीमार पुर्सी करना , इमाम आली मकाम व दीगर के नाम की फातिहा करना।
मुहर्रम के दसों दिन खुसूसन आशूरह के दिन मजलिस मुनअकिद करना और सही रिवायतों के साथ हजरत सैयदना इमाम हुसैन व शोहदाए करबला के फजाइल और वाकियाते करबला बयान करना जायज व बाइसे सवाब है। हदीस शरीफ में है जिस मजलिस में सालिहीन का जिक्र हो, वहां रहमत का नुजूल होता है।
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आशूरह के दिन दस चीजों को उलमाए किराम ने मुस्तहब लिखा है। बाज उलमा ने उसे इरशादे रसूल और बाज नेउसे हजरत अली का कौल बताया है। बहरहाल ! यह सब काम अच्छे काम है, उनको करना चाहिए।रोजा रखना,सदका करना, नवाफिल पढ़ना, एक हजार मर्तबा सूरः इख्लास पढ़ना, उलमा और औलिया की जियारत करना, यतीमों के सर पर हाथ रखना, अपने घर वालों पर खाने में वुस्अत व फराखी करना,सुरमा लगाना, गुस्ल करना, नाखुन तराशना और मरीजों की बीमार पुर्सी करना , इमाम आली मकाम व दीगर के नाम की फातिहा करना।

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