गोरखपुर मियां साहब इमामबाड़ा के पांच सज्जादानशीन
गोरखपुर मियां साहब इमामबाड़ा के पांच सज्जादानशीन
गोरखपुर। इस ऐतिहासिक इमामबाड़े की देख-भाल सूफी रौशन अली शाह करते रहे। इतिहासकार डा. दानपाल सिंह की किताब गोरखपुर-परिक्षेत्र का इतिहास (1200-1857 ई. ) खण्ड प्रथम में गोरखपुर और मियां साहब नाम से पेज 65 पर है कि यह एक धार्मिक मठ है जो गुरू परम्परा से चलता है। 1816 ई. में रौशन अली शाह के शिष्य व भतीजे सैयद अहमद अली शाह इस इमामबाड़े के उत्तराधिकारी हुए। इन्होंने ही मियां साहब की उपाधि धारण की जो शिष्य परम्परा से चली आ रही है।
डा.दरख्शां ताजवर ने इतिहास के आईने में बताया कि इनके पिता का नाम सैयद फौलाद अली था। सैयद रौशन अली शाह ने सैयद अहमद अली शाह की देखभाल अपने जिम्मे ली। बाबा की शगिर्दी में अहमद अली शाह की तरबीयत हुई। सैयद अहमद अली ने अपनी मेहनत व सलाहियत से अपने इल्म को निखारा। 17 साल की उम्र में शेरों शायरी शुरू की। उन्होंने उर्दू, अरबी, फारसी तीनों जुबानों में महारत हासिल की। उन्होंने कई किताबें लिखी। पहली किताब लगभग सन् 1860 में कशफुल बगावत लिखी जो 1857 के जंगे आजादी पर थी। दूसरी किताब नूरे हकीकत जो लगभग सन् 1861 में लिखी। इसका मौजू मजहब था। तीसरी किताब लगभग सन् 1863 के आसपास लिखी। जिसमें उन्होंने गोरखपुर की तारीख को लिखा। वह बहुत जहीन थे। बाद में उनके उत्तराधिकारी एवं इमामबाड़े के सज्जादानशाीन सैयद वाजिद अली शाह वर्ष 1915 तक सज्जादानशीन रहे। इसके बाद नौ साल की उम्र में ही सैयद जव्वाद अली शाह सज्जादानशीन बने। वर्ष 1916 से 1972 तक सज्जादानशीन रहे। इसके बाद बड़े मियां साहब के नाम से मशहूर सैयद मजहर अली शाह वर्ष 1973 से 1986 तक सज्जादानशीन रहे। वर्तमान में सैयद अदनान फर्रूख अली शाह मियां साहब वर्ष 1987 से इस ऐतिहासिक इमामबाड़े के मोतवल्ली व सज्जादानशीन है।
इमामबाड़ा स्टेट की समाजी खिदमात
गोरखपुर। इमामबाड़ा के सज्जदानशीनों की ही देन है कि यहां पर लड़कियों के तालीम के लिए खासा इंतेजाम है। 1937 में इमामबाड़ा गल्र्स इंटर कालेज की स्थापना हुई। इसके बाद पूर्वांचल का पहला महिला डिग्री कालेज सन् 1975 में खोला गया। जो जव्वाद अली शाह के नाम पर है। इसके अलावा पिपराइच में मजहरूल उलूम मदरसा दीनी खिदमात को अंजाम दे रहा है। इसी तरह मियां साहब इस्लामियां इण्टर कालेज व इस्लामियां डिग्री कालेज तालीम के क्षेत्र में कामयाबी के झण्डे गाड़ रहा है।
इमामबाड़े का मेला आस्था के संगम पर मनोरंजन की मस्ती
गोरखपुर। मियां साहब इमामबाड़े का मेला लाजवाब है। यूपी के सभी जिलों से दुकानदार यहां पर दुकानें लगातें है। अलग-अलग जगहों की मशहूर चीजें यहां आसानी से दस्तयाब हो जाती है। मोहर्रम की एक तारीख से हर खासो आम के लिए खोल दिया जाता है। यहां पर करीब 250 दुकानें लगती है। इमामबाड़ा परिसर में तरह-तरह की दुकानें, गृहस्थी व सजावाट के सामान व झूले व अन्य मनोरंजन के स्टाल, पकवान हलुआ पराठा के स्टाल लगते है। जहाॅं पर इमामबाड़े में आए लोग घूम कर अपना मनोरंजन व खरीदारी के साथ जायके का मजा लेते है। यह मेला तीजे तक चलता है। इमामबाड़ा इस्टेट में मोर्हरम की तैयारी एक माह पूर्व से ही प्रारम्भ हो जाती है।
प्रस्तुति सैयद फरहान अहमद
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