महान मुस्लिम वैज्ञानिकों ने रखी नवयुग की नींव : मुफ्ती अख्तर
-मोहल्ला खोखरटोला में आयोजित जश्न-ए-ईदमिलादुन्नबी
गोरखपुर। आॅक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में आज भी मुस्लिम विद्वानों की पुस्तकों के लातिनी और दूसरी यूरोपीय भाषाओं में किए गए अनुवाद मौजूद हैं। यूरोप वालों ने अल्पदृष्टि का परिचय देते हुए मुसलमानों के अरबी नामों को लातीनी में बदल दिया ताकि मुसलमानों को कभी पता न चले कि हमने विज्ञान और कला के क्षेत्र में क्या कारनामे अंजाम दिए। जिन लोगों के नाम बदले गये उनमें इब्ने सीना, इब्नुल हैसम, जाबिर बिन हैयान, जकरिया अल राजी , अल जरकावी, इब्ने रूश्द, अबु बक्र इब्ने बाजह आदि के नाम शामिल हैं। नाम इसलिए बदले गए ताकि आने वाली नस्लें यह न समझें कि मुसलमानों में इतने महान खोजकर्ता और वैज्ञानिक गुजरे हैं जिनकी जलायी इल्म की रोशनी से 14वीं और 15वीं शताब्दी में यूरोप में पुनर्जागरण व धार्मिक विपलव जैसे आंदोलन चले और आज यूरोप विकास और सभ्यता के शिखर पर पहुंचा।
यह बातें मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार के फतवा विभाग के हेड मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी ने मोहल्ला खोखरटोला में गुरुवार को जश्न-ए-ईदमिलादुन्नबी के मौके पर कहीं।
उन्होंने कहा कि मुसलमानों और यूरोपियों में मुख्य अंतर यह है कि मुसलमानों ने अपने इल्म को इंसानियत की भलाई के लिए इस्तेमाल किया और पश्चिम ने उपनिवेश के विस्तार और इंसानों के शोषण के लिए। उलेमा को चाहिए कि ईद मिलादुन्नबी की महफिलों व अन्य सम्मेलनों में मुसलमानों को जागरुक करें। उन्हें एहसास करायें कि हमारा इतिहास कितना रोशन था।इल्म हमारी दौलत थी, जिसे हमने छोड़ दिया। नबी से ताल्लुक तोड़ा लिया। जिस वजह से मुस्लिम कौम पिछड़ती चली गयी। जुल्म का शिकार हुई। आईये आज हम फिर मिलकर नबी से ताल्लुक जोड़े और इल्म हासिल करें। तभी कामयाबी मुसलमानों के कदम चूमेगी, दीन व दुनिया संवरेगी।
गौसिया जामा मस्जिद के इमाम मौलाना मोहम्मद अहमद ने कहा कि आज मुसलमान बहुत परेशान हैं। 57 इस्लामिक मुल्क हैं। तेल सहित तमाम खजाने हैं लेकिन मुसलमान बर्बाद हो रहा है, जुल्म का शिकार हो रहा हैं। इसकी वजह हमने उस मरकज से दूरी बना ली, जहां से हमें रोशनी मिली। नबी-ए-पाक की एक वाहिद जात है जिस पर उम्मते मुस्लिमां एक हो सकती है और खोया हुआ वकार दुबारा पा सकती हैं।
कार्यक्रम का आगाज इमाम हाफिज रहमत अली ने कुरआन पाक की तिलावत से किया इसके बाद नात पढ़ी।
अध्यक्षता गाजी मस्जिद के इमाम हाफिज रेयाज अहमद ने व संचालन सब्जपोश मस्जिद के इमाम हाफिज रहमत अली ने किया। आखिर में सलातो सलाम पढ़ा गया। एलप्पो, सीरिया, म्यांमार, इराक, फलीस्तीन के मुसलमानों के लिए खास दुआ की गयी। हिन्दुस्तान में अमनो सलामती की भी दुआ मांगी गयी। शीरीनी बांटी गयी।
इस मौके पर फराज हसन, शोएब हसन, मक्का मस्जिद के इमाम अंसारुल हक, कलीमुल हसन, शाहरुफ हसन, मोहम्मद हारुन खान, मोहम्मद मोहसिन खान, रजी अहमद, एजाज अहमद, मोहम्मद शमीम खान, मोहम्मद असद खान, मोहम्मद वसीम खान, मोहम्मद ताबिश खान, एजाजुद्दीन, इनामुद्दीन, मोहम्मद अयूब खान, नवेद आलम, मोहम्मद आजम सहित तमाम अकीदतमंद शामिल रहे।

टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें