तकसीमे गोश्त व खाल

कुर्बानी का गोश्त काफिर को न दिया जायंे। चर्म कुर्बानी या गोश्त वगैरह जिब्ह करने वाले को बतैार उजरत देना जायज नहीं। बेहतर यह है कि कुर्बानी के गोश्त के तीन हिस्से कर लें। एक हिस्सा फुकरा और मशाकीन , एक हिस्सा दोस्त व अहबाब और एक अपने अहलो अयाल के लिए रख छोड़े। अगर घर के लोग ज्यादा हो तो सब गोश्त रख सकते है और सदका भी कर सकते है। और बेहतर बांटना ही है। अगर जानवर में कई लोग शरीक हो तो सारा गोश्त तौल कर तक्सीम किया जाये। अंदाज से नहीं। अगर किसी को ज्यादा गोश्त चला गया तो माफ करने से भी माफ नहीं होगा। कुर्बानी की खाल सदका कर दें या किसी दीनी मदरसें को दे।

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