
हजरत इमाम हुसैन के साथ मक्का शरीफ से इराक की जानिब सफर करने वालों मंे आपके तीन पुत्र शामिल थें। हजरत अली औसत जिनको इमाम जैनुल आबिदीन कहते है। इनकी माता हजरत शहरबानों थी।उस वक्त आपकी उम्र 22 साल थी और बीमार थे। आपके दूसरे पुत्र हजरत अली अकबर थें जो याला बिन्ते अबी मुर्रह के शिकम से थे। उनकी उम्र 18 वर्ष थी। यह करबला में शहीद हुए। आपके तीसरे पुत्र हजरत अली असगर थे। उनकी माता रूबाब बिन्त इमरउल -कैस बनी कुजाआ से थी। आप शीर-ख्वार बच्चे थे। आपकी एक बहन हजरत सकीना भी करबला में हजरत इमाम आली मकाम के हमराह थीं। उस वक्त उनकी उम्र 7 साल की थी। हजरत इमाम हुसैन की दो बीवियां आपके पास थी। एक शहरबानो और दूसरी हजरत अली असगर की वालिदा रूबाब बिन्त इमरउल-कैस। हजरत इमाम हुसैन के चार नौजवान फर्जन्द हजरत कासिम (19), हजरत अब्दुल्लाह, हजरत उमर, हजरत अबुब्रक। हजरत इमाम आली मकाम के हमराह थे और करबला में शहीद हुए। हजरत अली के पांच फर्जन्द , हजरत अब्बास, उस्मान, अब्दुल्लाह, मुहम्मद इब्ने अली, हजरत जाफ़र बिन अली हजरत इमाम के हमराह थे और सब के सब करबला में शहादत पाई। हजरत अकील के फर्जन्दों में हजरत इमाम मुस्लिम तो हजरत इमाम के करबला पहुंचने से पहले ही कुफा में शहीद हो चुके थे। और तीन पुत्र अब्दुल्लाह, अब्दुर्रहमान, जाफर हजरत इमाम के हमराह थे और करबला में शहीद हुए। हजरत जाफर तैयार के दो पोते हजरत मुहम्मद, हजरत औन हजरत इमाम के हमराह हाजिर होकर शहीद हुए। उनके वालिद का नाम अब्दुल्लाह इब्ने जाफर है। यह दोनेां हजरत इमाम के हकीकी भंाजे है। उनकी वालिदा हजरत जैनब हजरत इमाम की हकीकी बहन है। साहबजादगाने अहले बैत में से कुल सतरह हजरात हजरत इमाम हुसैन के हमराह हाजिर होकर रूतबए शहादत को पहुंचे। और हजरत इमाम जैनुलआबिदीन, हजरत उमर बिन हसन, मुहम्मद बिन उमर बिन अली और दूसरे कम उम्र साहबजादे कैदी बनाए गए। हजरत जैनब हजरत इमाम की हकीकी हमशीरा और शहरबानो हजरत इमाम की पत्नी और दूसरे अहले बैत हजरात की बीबियां हमराह थी।(सवानेह करबला 89) अहले बैत व दीगर 72 जांनिसारों का यह काफिला 91 अफराद पर मुश्तमिल था जिसमें 19 अहले बैत किराम ओर 72 जांिनसार थें।
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