आग की पूजा करने वाले पर अल्लाह की रहमत
गोरखपुर।
रमजान का माह सभी के लिए रहमतों से मामूर हेै। मुसलमान तो मुसलमान दूसरे धर्मों के लोग भी इससे फैजयाब होते हैं। इसकी कद्र करने वाला कोई भी हो अल्लाह की रहमत उस पर जरूर नाजिल होती है। नुजहतुल मजालिस में है कि शहर बुखारा में एक मजूसी(आग पूजने वाला) रहता था। एक मरतबा रमजान शरीफ में वो अपने बेटे के साथ मुसलमान के बाजार से गुजर रहा था। उसके बेटे ने कोई चीज एअ़लानिया तौर पर खानी शुरू कर दी। मजूसी ने जब ये देखा तो अपने बेटे को एक तमांचा रसीद कर दिया और खूब डाॅंटकर कहाॅं, तुझे रमजानुल मुबारक के महीने में मुसलमानों के बाजार में खाते हुए शर्म नहीं आती? लड़के ने जवाब दिया पिताजी! आप भी तो रमजान शरीफ में खाते है। बाप ने कहा , ठीक है मैं भी खाता हूॅं। मगर छुपकर अपने घर में खाता हॅूं। मुसलमानो के सामने नहीं खाता। और इस माहे मुबारक की बे हुरमती नहीं करता। कुछ अर्से के बाद उस शख्स की मृत्यु हो गई। किसी ने ख्वाब में उसको जन्नत में टहलते हुए देखा तो उसे बड़ा ताज्जुब हुआ, पूछा तु तो मजुसी था। जन्नत में कैसे आ गया?कहने लगा वाकई मं मजूसी था। लेकिन जब मौत का वक्त करीब आया तो अल्लाह ने एहतरामे रमजान की बरकत से मुझे ईमान की दौलत से और मरने के बाद जन्नत से सरफराज फरमाया।

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