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जश्न-ए-आज़ादी : मकतब इस्लामियात में शान से लहराया तिरंगा, हुई संगोष्ठी

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  अल्लामा फज़ले हक़ खैराबादी को किया याद Syed Farhan Ahmad Qadri  गोरखपुर। स्वतंत्रता दिवस का जश्न मकतब इस्लामियात चिंगी शहीद इमामबाड़ा तुर्कमानपुर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। मकतब इस्लामियात के कारी मोहम्मद अनस रजवी, हाफिज सैफ अली, हाफिज अशरफ रज़ा, इंजमाम खान, आतिफ ने शान के साथ ध्वजारोहण किया। सना, सादिया, शिफा, नूर फातिमा, रहमत अली, मो. नसीम, मो. शाद, मो. सफियान, अब्दुस समद, अशरफ अली, उजैन आदि ने कौमी तराना, देश प्रेम पर आधारित गीत पेश किया। देश की आज़ादी के लिए कुर्बानी देने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को शिद्दत से याद करते हुए संगोष्ठी हुई। अध्यक्षता मुफ्ती-ए-शहर अख़्तर हुसैन मन्नानी ने की। संचालन हाफिज सैफ व मौलाना दानिश रज़ा अशरफी ने किया। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत अदीबा फातिमा ने की।  मुख्य अतिथि एमएसआई इंटर कॉलेज के वरिष्ठ शिक्षक मुख्तार अहमद ने बच्चों को शिक्षा हासिल करने की नसीहत की। जंगे आज़ादी के तमाम पहलुओं पर प्रकाश डाला। कहा कि मुगल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र ने उलमा किराम को बुलाया और मशवरा तलब किया कि अंग्रेजों के ख़िलाफ़ जंग क्या मायने रखती है क्या ...

मदरसों ने निकाली तिरंगा यात्रा, गूंजा हिंदुस्तान जिंदाबाद

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-15 अगस्त तक होंगे विविध कार्यक्रम गोरखपुर। जिले के सभी अनुदानित और गैर-अनुदानित मान्यता प्राप्त मदरसों में "हर घर तिरंगा" अभियान के तहत मंगलवार को मदरसा रजविया मेराजुल उलूम चिलमापुर, मदरसा अरबिया मिस्बाहुल उलूम असौजी बाज़ार, मदरसा अरबिया शमशुल उलूम सिकरीगंज, मदरसा मकतब इस्लामिया बहरुल उलूम बड़गो, बरईपार, मदरसा जामिया रजविया अहले सुन्नत गोला बाजार में तिरंगा यात्रा निकाली गई। हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए गए। शपथ दिलाई गई। मदरसों के विद्यार्थियों ने उत्साह के साथ हिस्सा लिया।  जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कमलेश कुमार मौर्य ने बताया कि 13 से 15 अगस्त तक मदरसों में तिरंगा यात्राएं, तिरंगा रैलियां, तिरंगा दौड़ और मैराथन, तिरंगा संगीत कार्यक्रम, तिरंगा कैनवास, तिरंगा प्रतिज्ञा, तिरंगा सेल्फी और तिरंगा कृतज्ञता जैसे कार्यक्रम आयोजित होंगे। इन गतिविधियों का उद्देश्य तिरंगे के सम्मान को बढ़ावा देना और उसकी महत्ता को उजागर करना है। स्थानीय समुदाय में राष्ट्रीय ध्वज के प्रति गर्व और सम्मान की भावना को मजबूत करने का प्रयास किया जाएगा। इस पहल का मुख्य उद्देश्य स्वतंत्रता की 77वीं व...

मदरसों में बायोमैट्रिक उपस्थिति के आदेश का विरोध, सौंपा ज्ञापन

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  गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के अनुदानित मदरसों में बायोमैट्रिक उपस्थिति के फैसले का विरोध शुरू हो गया है। मदरसों में बायोमैट्रिक उपस्थिति का विरोध आल इण्डिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया द्वारा किया जा रहा है। मंगलवार को एसोसिएशन से जुड़े मदरसा शिक्षकों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ मंत्री को संबोधित ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपकर इस आदेश को वापस लेने की मांग की है। मदरसा जामिया रजविया मेराजुल उलूम चिलमापुर के प्रधानाचार्य मौलाना मसरूफ़ अहमद निजामी ने कहा कि एसोसिएशन के निर्देश पर जिले के सहायता प्राप्त प्रधानाचार्यों, ‌शिक्षकों व कर्मचारियों ने बायोमेट्रिक उपस्थिति का आदेश वापस लेने के लिए जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है। दैनिक उपस्थिति आधार पर आधारित बायोमैट्रिक/फेस आथन्टिकेशन अटेंडेंस सिस्टम से शिक्षण व्यवस्था पर खराब असर पड़ेगा इसलिए आदेश को स्थगित किया जाए। ज्ञापन सौंपने वालों में मदरसा जियाउल उलूम पुराना गोरखपुर गोरखनाथ के प्रधानाचार्य मौलाना नूरुज्जमा मिस्बाही, मदरसा अंजुमन इस्लामिया खूनीपुर के प्रधानाचार्य कारी नसीमुल्लाह, डॉ. अज़ीम फारुकी, मौलाना ...

`जानिए कैसे आबाद हुआ जाफ़रा बाज़ार`

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  *_8 सफर (14 अगस्त 2024) उर्स-ए-मुबारक पर स्पेशल_* `गोरखपुर की विलायत मिली हज़रत मीर सैयद कयामुद्दीन शाह अलैहिर्रहमा को` `मुगल शहंशाह शाहज़हां (1627-1658 ई.) के जमाने में कायम हुई शहर की दूसरी सबसे पुरानी मस्जिद व रौजा` `14 अगस्त 2024 को है हज़रत मीर सैयद कयामुद्दीन शाह  का 318वां उर्स-ए-पाक` `जानिए कैसे आबाद हुआ जाफ़रा बाज़ार` गोरखपुर। जाफ़रा बाज़ार में आबाद 'सब्जपोश' खानदान बहुत पुराना है। गोरखपुर के सबसे प्रतिष्ठित मुस्लिम घराने में इसका शुमार है। 14 अगस्त 2024 को इस खानदान के और गोरखपुर के बड़े वली हज़रत मीर सैयद कयामुद्दीन शाह का 318वां उर्स-ए-पाक है। इस मौके पर पेश है खानदान-ए-सब्जपोश की दास्तान। सैयद शाहिद अली शाह सब्जपोश अपनी किताब 'दीवाने फानी' में अपने खानदान सब्जपोश के बारे में लिखते हैं कि सुल्तान सिकंदर लोदी के जमाने में उनके पूर्वज सैयद अहमद मक्की नजफ अशरफ़ से हिन्दुस्तान तशरीफ़ लाए और अयोध्या में ठहर गए। सैयद अहमद मक्की के साहबजादे हज़रत मीर सैयद मूसा हज़रत सैयद असद्दुदीन आफताबे हिन्द जफ़राबादी के मुरीद व जलीलुलकद्र ख़लीफा थे। आपकी औलाद से चंद पुश्तों के...

Haj 2025 : हज आवेदन शुरू, अंतिम तिथि नौ सितंबर

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गोरखपुर। हज 2025 के लिए आवेदन 13 अगस्त से शुरू हो गया। हज आवेदन की अंतिम तिथि 9 सितंबर है। हज कमेटी ऑफ इंडिया ने हज 2025 के लिए आवेदन की घोषणा कर दी है। हज कमेटी ऑफ इंडिया की वेबसाइट या एंड्रॉयड मोबाइल एप 'हज सुविधा' के माध्यम से आवेदन किया जा सकता है। आवेदक के पास भारतीय अंतरराष्ट्रीय पासपोर्ट होना आवश्यक है। पासपोर्ट 15 जनवरी 2026 तक वैध होना जरूरी है।

परीक्षाओं में धांधली व भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ जंतर-मंतर पर छात्रों का हल्ला बोल

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विरोध प्रदर्शन में दिखी पुलिस की ज्यादती नई दिल्ली। परीक्षाओं में धांधली, पेपर लीक व भर्तियों में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ भगतसिंह जनअधिकार यात्रा, दिशा छात्र संगठन, नौजवान भारत सभा से जुड़े देश भर के तक़रीबन 12 राज्यों से सैकड़ों की संख्या में छात्र-युवाओं ने जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों ने जोरदार तरीके से अपनी बात रखी। हाथों में तख्तियां लिए छात्रों ने सरकार से सवाल किया। छात्रों ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का इस्तीफा मांगा है।  बताते चलें कि दिल्ली पुलिस ने जुटान से पहले ही अनुमति न होने का हवाला दे दिया था। इसके बावजूद जब छात्र-युवा संसद मार्ग थाने तक एक रैली की शक़्ल में पहुँच गये तब दिल्ली पुलिस के अफ़सरों को मजबूरन जंतर-मंतर पर सभा के लिए जगह देनी पड़ी। जंतर-मंतर पर चली सभा में अलग-अलग राज्यों से आए छात्र-युवा प्रतिनिधियों ने सम्बोधित किया। कोई भी प्रतिनिधि छात्र-युवाओं का ज्ञापन लेने तक नहीं आया। प्रदर्शनकारी जब ज्ञापन सौंपने के मक़सद से संसद मार्ग की ओर बढ़े तो दिल्ली पुलिस ने दमन व बल प्रयोग किया। छात्राओं तक को जमीन पर घसीटा गया। कईयों के कपड़े तक फट गये...

कागजों पर चल रही योजनाओं और मदरसों पर नकेल कसेंगे अधिकारी

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  -प्रदेश भर में अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं का होगा भौतिक निरीक्षण -जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, रजिस्ट्रार, निदेशक, विशेष सचिव को निरीक्षण की जिम्मेदारी गोरखपुर। प्रदेश भर भर में संचालित अल्पसंख्यक कल्याण की सभी योजनाओं समेत मदरसों की हर महीने जांच होगी। शासन स्तर से इसके लिए समय सारिणी भी जारी की गई है। जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों को निरीक्षण जिम्मेदारी के साथ ही हर महीने की पांच तारीख को रिर्पोट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं। यह रिपोर्ट अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री को प्रस्तुत की जाएगी। इस सम्बंध में आदेश  विशेष सचिव उत्तर प्रदेश प्रदेश ने जारी कर दिए हैं।  प्रदेश भर में संचालित मदरसों के भौतिक निरीक्षण से पता लगाया जाएगा कि वहां कितनी योजनाएं संचालित है। शिक्षकों और छात्राओं की उपस्थिति कैसी है, क्या कोई ऐसे भी मदरसे हैं जो सिर्फ कागजों पर ही योजनाएं संचालित कर रहे हैं, मिड डे मिल की स्थिति। ये सारी जानकारियां वरिष्ठ अधिकारियों को जुटानी होगी। जिसके बाद आगे की योजनाएं बनेगी और कार्यवाही भी होगी। अल्पसंख्यक विभाग ने अधिकारियों के दिन भी तय किए हैं कौन अधिकारी महीने में कितने...

आज पूरी दुनिया में आला हज़रत का चर्चा है : मुफ्तिया गाजिया ख़ानम

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तुर्कमानपुर में महिलाओं की दसवीं महाना दीनी महफ़िल गोरखपुर। रविवार को मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर में महिलाओं की ‘बज्मे कनीजाने आयशा’ नाम से दसवीं महाना दीनी महफ़िल हुई। अध्यक्षता ज्या वारसी ने की। संचालन शिफा खातून ने किया। कुरआन-ए-पाक की तिलावत अदीबा फातिमा ने की। हम्द, नात व मनकबत सादिया नूर, सानिया,  शिफा नूर, सना ने पेश की। हदीस-ए-पाक आयशा फातिमा ने पेश की।  मुख्य वक्ता मुफ्तिया गाजिया ख़ानम ख़ानम अमजदी ने कहा कि आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ां अलैहिर्रहमा 10 शव्वाल 1272 हिजरी यानी 14 जून 1856 को बरेली शहर में पैदा हुए। आप बहुत सारी खूबियों के मालिक थे। आप भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे मशहूर शख़्सियतों में से हैं। शायद ही कोई जगह ऐसी हो जहाँ मुसलमान आबाद हों और आपका जिक्र न हो। एक बात जो सिर्फ आपकी ही जात को हासिल है कि 200 साल में किसी भी आलिम-ए-दीन की हयात और ख़िदमात पर इतनी किताबें नहीं लिखी गई जितनी किताबें आपकी ज़िन्दगी पर लिखी गईं। जिनकी तादाद तक़रीबन 528 से ज्यादा है। जो अरबी, फ़ारसी, हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी, पंजाबी, पश्तो, बलूची, कन्नड़, तेलगू, सिंधी, बंगला आदि भाषाओं में ह...

बेरहम दुनिया : कूड़े में मिला नवजात शिशु का शव*

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गोरखपुर कोतवाली थानाक्षेत्र के बक्शीपुर में बुधवार सुबह सड़क किनारे सुबह नवजात शिशु मिला। मुफ्तीपुर मोहल्ले में सड़क किनारे कूड़े में  शव को कुत्ते नोच रहे थे। स्थानीय लोगों की सूचना पर कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची।पुलिस नवजात के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा।

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने नई हज पॉलिसी जारी की

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 लखनऊ। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने नई हज पॉलिसी जारी की। पांच साल के लिए बनाई गई नई हज पॉलिसी। नई हज पॉलिसी से मिलेंगी हाजियों को सुविधाएं। खादिमुल हुज्जाज हज इंस्पेक्टर के नाम से जाने जाएंगे। 18 से 65 साल तक हज पर जाने की होगी अनुमति। जल्द जारी किए जाएंगे हज 2025 के आवेदन फॉर्म।

हर घर तिरंगा अभियान

 गोरखपुर। 13 अगस्त से 15 अगस्त तक हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाने के लिए जिला विकास अधिकारी की अध्यक्षता में विकास भवन सभागार में बैठक आयोजित की गई इस दौरान जिला विकास अधिकारी राजमणि वर्मा पुलिस अधीक्षक ट्रैफिक संजय कुमार डीपीआरओ निलेश प्रताप सिंह सहित अन्य संबंधित अधिकारी गण मौजूद है।

गोरखपुर : जानिए अस्करगंज व रेती को, मदीना मस्जिद व दुपट्टा गली यहीं है

  गोरखपुर। मुहल्ला अस्करगंज कदीम (पुराना) मुहल्ला है। ‘अस्कर’ का अर्थ फौज से है। मुगल काल में यहां अस्तबल हुआ करते थे। फौज की एक टुकड़ी भी यहां रहा करती थी। रेती चौक क्षेत्र के कुछ फासले से राप्ती नदी का बहाव था। रेत के कारण ही रेती चौक नाम पड़ा। बादशाह औरंगजेब के पुत्र मुअज्जम शाह ने धम्माल, अस्करगंज, शेखपुर, नखास बसाया और रेती पर पुल (उस वक्त राप्ती नदी पर) बनवाया। दबिस्ताने गोरखपुर किताब में लिखा हुआ है कि शाहजादा मुअज्जम शाह जब अपने वालिद शहंशाह औरंगजेब से नाराज होकर गोरखपुर चला आया और कुछ दिनों यहां ठहरा रहा तो शहर को वीरान देखकर इसकी आबादकारी का हुक्म दिया और इसका नाम अपने नाम की निस्बत से मुअज्जमाबाद रखा। रेती की आन, बान व शान मदीना मस्जिद रेती स्थित मदीना मस्जिद कोई मामूली मस्जिद नहीं है, ब्लकि यह करीब 70 से 75 साल पुरानी मस्जिद है। आज से 40-45 साल पहले इसके तीन शानदार गुंबद हुआ करते थे। दो लंबीं मीनारें थी। 13 सालों से मस्जिद के सेकेट्री परवेज अहमद खान हैं। जिन्होंने मस्जिद की पुरानी इमारत देखी और नमाज भी पढ़ी। उन्होंने बताया कि उस वक्त भी इसे मदीना मस्जिद कहते थे और आज भी...

तहसीलदार सदर का कार्यालय बना आवारा कुत्तों की आरामगाह

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  *आधा दर्जन कुत्तों का कार्यालय में जमावड़ा* रिपोर्ट - *रशाद लारी* *गोरखपुर* गोरखपुर। सरकारी दफ्तरों को चकाचक और चाक चौबंद करने के लिए शासन हमेशा निर्देशित करता रहता है बहुत से दफ्तर में इसका पालन होता है लेकिन सदर तहसीलदार के दफ्तर का हाल कुछ और ही बयां कर रहा है। उनके दफ्तर में आधा दर्जन से ज्यादा आवारा कुत्ते आराम फरमाते हुए नजर आते हैं। गौरततलब है कि सदर तहसील में प्रतिदिन सैकड़ो की संख्या में लोगों का आना और जाना लगा रहता है इन आने-जाने वालों में बहुत से अधिकारी भी होते हैं, खुद सदर तहसीलदार नायब तहसीलदार का जहां चेंबर है उसके बाहर कुत्ते आराम फरमाते नजर आते हैं। यह कुत्ते कभी भी किसी को काटकर घायल कर सकते है लेकिन हैरत की बात तो यह है कि एसडीएम से लेकर तहसीलदार और नायब तहसीलदार तमाम अधिकारी इस भवन में प्रतिदिन आते हैं लेकिन उनकी निगाह क्या इन कुत्तों पर नहीं पड़ती? चलिए हमारे निगाह तो पड़ गई और हमने इस बात से अवगत भी करा दिया, अब देखना यह होगा कि इस खबर के बाद क्या सदर तहसील कुत्ता मुक्त हो पता है!

जानिए गोरखपुर के सबसे पुराने खानदान ‘सब्जपोश’ के बारे में

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  सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाज़ार  गोरखपुर की विलायत मिली हजरत मीर सैयद कयामुद्दीन शाह अलैहिर्रहमां को बादशाह शाहजहां (1627-1658 ई.) के जमाने में कायम हुई शहर की दूसरी सबसे पुरानी मस्जिद व रौजा जानिए कदीम जमाने में कैसे आबाद हुआ जाफरा बाजार सैयद फरहान अहमद कादरी  गोरखपुर। जाफरा बाजार में ‘सब्जपोश’ खानदान बहुत जमाने से आबाद है। पेश है हजरत मीर कयामुद्दीन शाह व खानदाने सब्जपोश की तारीख – सैयद शाहिद अली शाह सब्जपोश अपनी किताब ‘दीवाने फानी’ में अपने खानदान सब्जपोश के बारे में लिखते हैं कि सुल्तान सिकंदर लोदी के जमाने में उनके पूर्वज सैयद अहमद मक्की नजफ अशरफ से हिन्दुस्तान तशरीफ लाए और अयोध्या में ठहर गए। सैयद अहमद मक्की के साहबजादे हजरत मीर सैयद मूसा हजरत सैयद असद्दुदीन आफताबे हिन्द जफराबादी के मुरीद व जलीलुलकद्र खलीफा थे और आप ही की दुआ से बाबर को हिन्दुस्तान की बादशाहत मिली। हिन्दुस्तान के हमले से पहले किसी दरवेश ने बाबर को खबर दी की जब तक हजरत मीर सैयद मूसा तुम्हारे लिए दुआ नहीं करेंगे, हिन्दुस्तान की बादशाहत तुमको नहीं मिल सकती। बाबर फकीर का भेष बदलकर आपकी खिदमत में हाजिर...

गोरखपुर : शहीदों और वलियों के मज़ार बेशुमार

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  शहीद सरदार अली खां की मजार कोतवाली  गोरखपुर। गोरखपुर शहर बहुत कदीम व तारीखी है। यहां शहीदों और वलियों के मजार बेशुमार हैं। ज्यादातर शहीदों के मजार का ताल्लुक हजरत सैयद सालार मसूद गाजी मियां अलैहिर्रहमां से है। इसके अलावा पहली जंगें आजादी के शहीदों के मजार कसीर तादाद में हैं। खैर। दीवाने फानी किताब में लिखा है कि बादशाह औरंगजेब के पुत्र मुअज्जम शाह उर्फ बहादुर शाह प्रथम (1707-1712 ई.) ने गोरखपुर में नया शहर बसाया और अपने नाम से मंसूब करके ‘मुअज्जमाबाद’ रखा। शहरनामा किताब के मुताबिक शहजादा मुअज्जम शाह ने ही मुहल्ला धम्माल, अस्करगंज, शेखपुर, नखास बसाया और रेती पर पुल (उस वक्त राप्ती नदी पर) बनवाया। शहर में यह भी बुजुर्ग गुजरे हैं मुहल्ला इलाहीबाग के शाह बदरुल हक अलैहिर्रहमां (विसाल 25 रबीउस्सानी सन् 1971 ई. मजार – कच्ची बाग कब्रिस्तान) मुहल्ला घासीकटरा के हजरत मौलवी अब्दुल जब्बार शाह अलैहिर्रहमां (विसाल 2 जून सन् 1989 ई. मजार – कच्ची बाग कब्रिस्तान) हजरत हजरत मौलवी जुमेराती शाह (विसाल 7 नवंबर सन् 1982 ई.) मुहल्ला बुलाकीपुर के रहने वाले हजरत मोहम्मद सफी अलैहिर्रहमां (विसाल 5 रबी...

हिन्दुस्तान की जंगे आजादी में उलमा-ए-अहले सुन्नत

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 सैयद फरहान अहमद कादरी  गोरखपुर। हिन्दुस्तान में अंग्रेज आये और अपनी मक्कारी से यहां के हुक्मरां बन गए। सबसे पहले अंग्रेजों के ख़िलाफ़ अल्लामा फज्ले हक़ खैराबादी ने दिल्ली की जामा मस्जिद से जिहाद के लिए फतवा दिया। पूरे मुल्क के हिंदू-मुसलमान तन, मन और धन से अंग्रेजों के ख़िलाफ़ सरफ़रोशी का जज़्बा लिए मैदान में कूद पड़े। लाल किले पर सात हजार सुन्नी उलमा-ए-किराम को अंग्रेजों ने सरे आम फांसी दी। उलमा-ए-अहले सुन्नत ने अपने ख़ून से हिन्दुस्तान को सींचा और लोगों को गुलामी के जंजीरों से आज़ाद होने का जज़्बा पैदा किया। हज़रत सुल्तान टीपू हिन्दुस्तान के पहले मुजाहिद हैं जिन्होंने अंग्रेजों के ख़िलाफ़ जिहाद किया और सबसे पहले तसव्वुरे आज़ादी का जेहन दिया। हज़रत मौलाना हिदायत रसूल जो आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ां अलैहिर्रहमां के शागिर्दे खास थे। इन्हें भी अंग्रेजों ने फांसी की सजा दी थी। बहुत बड़े तकरीर दां थे अंग्रेजों के ख़िलाफ़ पूरी ज़िंदगी बोलते रहे। तकरीर करने में इन्हें महारत हासिल थी। आला हज़रत इनके बारे में फरमाते थे कि अगर मुझ जैसा एक क़लम का धनी और हिदायत रसूल जैसा एक और तकरीर क...

गोरखपुर की दरगाहें : निगाहे वली में तासीर… बदलती हज़ारों की तकदीर

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  गोरखपुर। “निगाहे वली में वो तासीर (असर) देखी। बदलती हज़ारों की तकदीर देखी।” कुछ ऐसी ही तासीर है सरजमींने गोरखपुर के वलियों की निगाहों में। जिनकी एक निगाह बंदें पर पड़ जाए तो अल्लाह की रहमत जोश में आ जाए। यह दुआ कर दें तो अल्लाह अपने फ़ज़लो करम से उस दुआ को तुरंत कबूल कर ले। गोरखपुर हमेशा से वलियों का गहवारा रहा है। इन वलियों ने समाज में फैली बुराईयों को खत्म कर एकता व भाईचारगी का पैग़ाम दिया। इंसानियत को ज़िंदा रखने में इनकी अहम भूमिका है। आज भी इन वलियों का फैज बदस्तूर जारी है। इनकी दरगाहों, आस्तानों व मजारों पर हर मजहब के मानने वालों का तांता लगा रहता है। लोग इनके वसीले से दिली मुरादें पाते है। शहर के हर हिस्से में सैकड़ों वलियों, शहीदों की मजारें हैं। दरगाह हज़रत सालार मसऊद गाजी मियां उर्फ बाले मियां बहरामपुर  हज़रत सैयद सालार मसऊद गाजी मियां अलैहिर्रहमां जनसामान्य में बाले मियां के नाम से जाने जाते है। बहरामपुर में हर साल ज्येष्ठ (जेठ) के महीने में यहां मेला लगता हैं जहां पर आस-पास के क्षेत्रों के अलावा दूर दराज से भारी संख्या में अकीदतमंद यहां आते हैं। एक माह तक चलने वा...