गोरखपुर सीट पर तीन बार चुने गए मुस्लिम विधायक
-हर बार मुस्लिम उम्मीदवारों ने किया कड़ा मुकाबला
- 1989 से कांग्रेस की जीत का सूरज अस्त
-आज़ादी के बाद पहली बार यहां से इस्तफा हुसैन ने जीत हासिल की
हाल-ए- गोरखपुर शहर विधानसभा
सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर। विस चुनाव का शंखनाद हो चुका हैं। एक माह से कुछ ज्यादा का समय हैं। गोरखपुर में चुनाव छठवें चरण में हैं। करीब 27 सालों से तरक्की की अास जोह रहा यह क्षेत्र भाजपा का अभेद किला हैं। लेकिन कभी यह सीट कांग्रेस की हुआ करती थी। और यहां से मुस्लिम उम्मीदवार जीता करते थे। जब मुल्क आजाद हुआ तो पहली विधानसभा के लिए इस क्षेत्र से कांग्रेस ने इस्तफा हुसैन को उतारा। गोरखपुर मध्य से वर्ष 1951 में पहले आम चुनाव में कांग्रेस के इस्तफा हुसैन ने जीत हासिल करते हुए रामलखन को हराया। वर्ष 1957 में भी इस सीट पर इस्तफा हुसैन ने ही जीत हासिल की। वहीं 1962 में कांग्रेस ने नियमतुल्लाह को मैदान में उतारा। उन्होंने जनसंघ के लक्ष्मी कान्त चतुर्वेदी को हराकर कांग्रेस के जीत की हैट्रिक बनवाई। नियामतुल्लाह को 22441 मत मिले तो श्री चतुर्वेदी को 18347 और हिन्दू महासभा के लक्ष्मीशंकर वर्मा को 3853 वोट मिला।उसके बाद वह दिन था और आज का दिन मुस्लिम उम्मीदवार तो बहुत खड़े हुए लेकिन जीत कोई हासिल नहीं कर सका। लेकिन हर बार मुस्लिम उम्मीदवारों ने कड़ा मुकाबला किया।
वर्ष 1977 में जमीर अहमद चुनाव लड़े लेकिन दूसरे स्थान पर रहे। वर्ष 1989 में भाजपा के शिव प्रताप शुक्ला ने बसपा के ज़फर को हराया। वर्ष 1991 में भी भाजपा के शिवप्रताप शुक्ला रामलहर में जीत गये। जनता दल के जफ़र दूसरे स्थान पर रहे। वर्ष 1993 में भाजपा के शिवप्रताप शुक्ला ने हैट्रिक बनायी। बसपा के ज़फर तीसरे स्थान पर रहे। वर्ष 1996 में भी शिवप्रताप शुक्ला ने जीत हासिल की। जनता दल की मंजू जकी ने दूसरा स्थान हासिल किया।
वर्ष 1989 के बाद इस सीट पर कांग्रेस की जीत का सूरत अस्त हो गया। इसके बाद भाजपा का सूरज उदय हुआ जो आज तक बरकरार हैं। राज्य सभा सांसद शिव प्रताप शुक्ल ने चार बार तो डा. राधा मोहन दास अग्रवाल ने तीन बार जीत हासिल की। सांसद महंत योगी आदित्यनाथ के इस गढ़ में जीत हासिल करना बेहद मुश्किल माना जाता हैं। पिछले चुनाव में डा. राधा मोहन ने गोरखपुर-बस्ती मंडल में सर्वाधिक अंतर से जीत हासिल की थी। काबिलेगौर इस सीट पर मंदिर समर्थित उम्मीदवार ही जीत हासिल करता हैं चाहे भाजपा में रहकर लड़े या बाहर रहकर लड़े। वहीं कांग्रेस ने उम्मीदवार घोषित नहीं किया हैं। सपा व बसपा ने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। पिछले चुनाव में भाजपा से सिर्फ सपा ने कुछ फाइट की थी। लेकिन एक बात तो तय हैं कि जिसे मंदिर से समर्थन मिला वह जीत के प्रति काफी आश्वस्त नजर आता हैं। भाजपा इस सीट पर केवल वर्ष 2002 में हारी थीं। वर्ष 2002 में मंदिर समर्थित उम्मीदवार हिन्दू महासभा के डॉ.राधा मोहन दास अग्रवाल ने भाजपा के शिवप्रताप का विजय रथ रोक था। वर्ष 2007 में भाजपा ने शिवप्रताप शुक्ला की बजाय हिन्दू महासभा से जीत हासिल करने वाले डॉ.राधा मोहन दास अग्रवाल को टिकट दिया। जीत मिली। भाजपा ने उन पर फिर भरोसा जता कर टिकट फाइनल किया।
जिन्होंने इस क्षेत्र से जीता चुनाव-
वर्ष 2012/07/02 -- डा. राधा मोहन दास अग्रवाल (भाजपा)
1996/93/91/89 -- शिव प्रताप शुक्ला (भाजपा)
1985/80 -- सुनील शास्त्री (कांग्रेस)
1977/74 -- अवधेश कुमार (बीजेएस)
1969 -- राम लाल भाई (कांग्रेस)
1967 -- यू प्रताप (बीजेएस)
1962 -- नियमतुल्लाह अंसारी (कांग्रेस)
1951/57 -- इस्तफा हुसैन (कांग्रेस)
वर्ष 2012 के चुनाव में दलों की स्थिति / कुल उम्मीदवार 31
1.भाजपा -- डा. राधा मोहन दास अग्रवाल विजेता
2. सपा -- राजकुमारी देवी उपविजेता
3. बसपा -- देवेश चंद्र श्रीवास्तव
4. कांग्रेस -- नरेंद्र मणि त्रिपाठी
विस वर्ष 2017 चुनाव के उम्मीदवार
1. बसपा -- जनार्दन चौधरी
2. सपा -- राहुल गुप्ता (अखिलेश गुट ने टिकट दिया)
3.भाजपा -- डा. राधा मोहन दास अग्रवाल
मतदाता -- 427182
पुरुष -- 233949
महिला -- 193175
थर्ड जेंडर -- 59
चुनाव तिथि - 4 मार्च
मतगणना - 11 मार्च

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