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ताजदारे हरम हो निगाहे करम, हम गरीबों के दिन भी संवर जायेंगे।

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हादीए बेकसां, क्या कहेगा जहां, आपके दर से खाली अगर जायेंगे। खौफें तूफां कहीं आंधियों का है गम, सख्त मुश्किल है आका कहां जायें हम। आप भी गर न लेंगे हमारी खबर, हम मुसीबत के मारे किधर जायेंगे। दर पे साकीए कौसर के पीने चलें ,मैकशो आओ-आओ मदीने चलें। याद रखो अगर उठ गई वह नजर, जितने खाली है सब जाम भर जायेंगे। कोई अपना नहीं गम के मारे हैं हम, आपके दर पे फरियाद लाये है हम। हो निगाहे करम, वरना चैखट पे हम, आपका नाम ले-ले कर मर जायेंगे। आपके दर से कोई न खाली गया, अपने दामन को भर कर सवाली गया। हो पयामे हजीं पर भी आका करम वरना औराके हस्ती बिखर जायेंगे।

इमाम अहमद रजा खां के परपोते हजरत मौलाना सिब्तैन रजा खां का विसाल

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हुजूर अमीन-ए-शरियत हजरत मौलाना सिब्तैन रजा खां का सोमवार दोपहर उनके आवास पर इंतकाल हो गया। फाजिल-ए-बरेलवी इमाम अहमद रजा खां के परपोते हजरत मौलाना सिब्तैन रजा खां (93) काफी समय से बीमार थे। इन्होंने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में तमाम मदरसे-मस्जिद कायम की। बीमारी के चलते चलना-फिरना मुश्किल हो गया। इसलिए इनके पुत्र मौलाना सलमान रजा खां और मौलाना नुमान रजा खां मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में शिक्षा के प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी निभा रहे थे। देर रात तक सुपुर्दे खाक को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ था। बड़े पुत्र मौलाना सलमान रजा खां महाराष्ट्र में थे। इसके साथ ही मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक अकीदतमंद हैं। यहां के अकीदतमंद रायपुर में सुपुर्दे खाक करने की मांग कर रहे थे। नासिर कुरैशी ने बताया दुनियाभर में अकीदतमंद हैं, जो शाम से ही बड़ी संख्या में बरेली पहुंचने लगे हैं।